Kedarnath Assembly Election: केदारनाथ उपचुनाव के बारे में जनता का मत लगभग स्पष्ट है। कांग्रेस ने बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनावों में अपना इतिहास नहीं दोहराया है
Kedarnath Assembly Election: पहले राउंड में आशा नौटियाल ने बढ़त हासिल की थी। निर्दलीय चौहान भी लगभग छह राउंड तक बलपूर्वक वोट लेते रहे। भाजपा और कांग्रेस के बीच इसके बाद काफी कम मुकाबला था।
केदारनाथ उपचुनाव के बारे में जनता का मत लगभग स्पष्ट है। कांग्रेस ने बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनावों में अपना इतिहास नहीं दोहराया है। भाजपा ने पांच हजार से अधिक मतों से केदारनाथ उपचुनाव जीता। भाजपा को बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनावों में हार के बाद केदारनाथ की जीत ने भी जीवंत कर दिया। निष्पक्ष त्रिभुवन ने लगभग 10 हजार मत पाए और शानदार मौजूदगी दिखाई दी।
Kedarnath के सर्वेक्षण के परिणाम: “Dham is with Dhami” कुल 14 राउंड की गिनती के बाद भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने उपचुनाव में 5624 मतों से जीत हासिल की है। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की हार को पार्टी का सबसे बड़ा झटका बताया जाता है। उपचुनाव में छह प्रत्याशी थे। पहले राउंड में आशा नौटियाल ने बढ़त हासिल की थी। निर्दलीय चौहान भी लगभग छह राउंड तक बलपूर्वक वोट लेते रहे। भाजपा और कांग्रेस के बीच इसके बाद काफी कम मुकाबला था। शनिवार को घोषित केदार विधानसभा उपचुनाव परिणाम बीजेपी की ओर है क्योंकि केदारनाथ की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आशा नौटियाल को हर संभव अवसर से बाहर कर दिया है।कांग्रेस ने केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में यात्रा पर ध्यान दिया, हालांकि क्षेत्रीय जनता कांग्रेसी विधायक से खुश नहीं थी। क्षेत्रवाद से जातिवाद की ओर बढ़ा।
जनता ने नकारात्मक मुद्दे नजरअंदाज किए: बीजेपी,
हालांकि, मतदाता सभी प्रचार को खारिज करते हुए बीजेपी पर मुहर लगा रहे हैं। केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में चारधाम यात्रा को कैंचीधाम की ओर मोड़ने, दिल्ली में एक ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहे मंदिर को केदारनाथ से जोड़ने, केदारनाथ मंदिर को दान में मिले सोना पर सवाल उठाने और पहाड़ की दो प्रमुख जातियों को एकजुट करने पर जोर था। कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने इन कमजोरियों को खुलकर उठाया। कांग्रेस उम्मीदवार मनोज रावत ने कहा कि मुकाबला उनके और भाजपा उम्मीदवार आशा नौटियाल के बीच नहीं बल्कि “धाम” और “धामी” के बीच है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर कई नेता हमला करते रहे, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी शामिल थे। कांग्रेस ने विकास और जनसरोकार के मुद्दों को छोड़कर नकारात्मक मुद्दों पर निर्भर किया।