Holi Story: होली से बहुत सारी कहानियां जुड़ी हुई हैं। जब आप किसी से पूछेंगे, हर कोई आपको होली की कोई न कोई कहानी बता देगा। होली की प्रसिद्ध कहानियों में राधा-कृष्ण का प्रेम, कामदेव और रति का पुनर्मिलन, होलिका और भक्त प्रह्लाद शामिल हैं। इन कहानियों के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली से जुड़ी एक कहानी श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में युधिष्ठिर को भी सुनाई थी। होली की इस कहानी में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को विश्व की उत्पत्ति भी बताई। आइए, जानते हैं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को क्या अनूठी कहानी बताई थी।
Holi Story: श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को होली की कहानी सुनाई
युधिष्ठिर ने एक बार श्रीकृष्ण से होली की उत्पत्ति की कहानी पूछी। श्रीकृष्ण ने इस प्रश्न को सुनकर मुस्कुराकर होली की कहानी बतानी शुरू की। श्रीकृष्ण ने बताया कि श्रीराम के पूर्वज रघु के राज में एक असुर महिला थी। वह एक असुर महिला थी, जो गांव के लोगों को मारकर खा जाती थी। बच्चे भी उसके शिकार बनने लगे। गांव के लोग यह देखकर बहुत परेशान हो गए। एक दिन, गुरु वशिष्ठ ने उन्हें बताया कि उस असुर महिला को मार डाला जा सकता है; उन्होंने कहा कि गांव के सभी बच्चों को मिट्टी से उसकी मूर्ति बनाकर एक चौराहे पर रखनी होगी।
इसके चारों ओर लकड़ियां, घास-फूस और उपले डालकर इस तरह रखें कि असुर महिला अपनी मूर्ति नहीं देख सकती। उस स्थान की पूजा करके घास-फूस के साथ उसकी प्रतिमा जला दी जाएगी. ऐसा करने से असुर महिला मर जाएगी और गांववालों को उससे छुटकारा मिलेगा। बच्चों और गांववालों ने गुरु वशिष्ठ की बात मानकर ऐसा ही किया। तब असुर महिला की मौत पर गांव के सभी लोगों ने नृत्य किया और खुशी-खुशी मिठाइयां बाँटकर बुराई पर अच्छाई की जीत मनाई।
होली की इस कहानी में दुनिया का नियम छिपा है।
यह कहानी सुनकर युधिष्ठिर ने फिर पूछा कि क्या होलिका दहन प्रह्लाद के भक्त था? यह एक पूरी तरह से अलग कहानी है। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर का प्रश्न सुनकर मुस्कुराकर कहा, “हे युधिष्ठिर, इस संसार में हर युग में वही घटनाएं बार-बार होती हैं।” हाल ही में जो कुछ हो रहा है, वह पहले भी हुआ है, और आज जो कुछ हो रहा है, कल भी होगा। इससे जुड़े चरित्र हर घटना में बदल सकते हैं, लेकिन उस घटना से मिली सीख वही रहती है। जैसे, होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं। यदि होलिका आग में नहीं जलती, तो कोई बुरी शक्ति या प्राणी भी इसी तरह मर जाता।
जैसे, रावण को मारने के बाद श्रीराम ने अयोध्या में वापसी करके राम राज्य की स्थापना की। उसी तरह हर युग में बुराई का अंत होकर राम राज्य का पुनः उदय होना है। हर युग में यह बार-बार होता रहेगा। इस घटना से जुड़े पात्र बदल सकते हैं लेकिन घटनाएं संसार का अर्थ और नियम समझाने के लिए निरंतर हर युग में घटती रहती हैं। संसार का नियम यही है। हर युग इसी तरह चलता है। इसलिए आदमी को अपने कर्मों की प्रधानता को समझना चाहिए और उन पर ध्यान देना चाहिए। कर्म सबसे महत्वपूर्ण है।”