Pradhan Mantri Ujjwala Yojana के तहत प्रदान किए गए एलपीजी कनेक्शन
Pradhan Mantri Ujjwala Yojana
Pradhan Mantri Ujjwala Yojana: देश भर के गरीब परिवारों की वयस्क महिला सदस्य के नाम पर जमा मुक्त एलपीजी कनेक्शन जारी करने के लिए 01.05.2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की गई थी। पीएमयूवाई का प्राथमिक उद्देश्य ऐसे गरीब परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन एलपीजी तक पहुंच प्रदान करना है, जिससे पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, गाय के गोबर आदि के उपयोग से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य खतरों को कम करके उनके स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। ये वायु प्रदूषण के भी गंभीर घरेलू कारण बनते हैं। खाना पकाने के ईंधन के रूप में एलपीजी का उपयोग महिलाओं को जलाने वाली लकड़ी इकट्ठा करने के कठिन परिश्रम से मुक्त करता है, खाना पकाने में लगने वाले समय को कम करता है और वनों की कटाई को रोकता है। 01.07.2024 तक, देश भर में 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन जारी किए गए हैं।
देश में एलपीजी कवरेज को बढ़ाने के लिए अन्य बातों के साथ–साथ कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें पीएमयूवाई को बढ़ावा देने के लिए अभियान आयोजित करना, नामांकन करने और कनेक्शन वितरित करने के लिए मेलों/शिविरों का आयोजन करना, आउट ऑफ होम (ओओएच) होर्डिंग्स, रेडियो जिंगल, सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) वैन के माध्यम से प्रचार करना, अन्य पारंपरिक ईंधनों की तुलना में एलपीजी के उपयोग के लाभों और एलपीजी पंचायतों के माध्यम से एलपीजी के सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाना, विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत नामांकन/जागरूकता शिविर, उपभोक्ताओं और उनके परिवारों को आधार नामांकन की सुविधा प्रदान करना और पीएमयूवाई कनेक्शन प्राप्त करने के लिए बैंक खाते खोलना, एलपीजी कनेक्शन प्राप्त करने की प्रक्रिया का सरलीकरण, पीएमयूवाई कनेक्शन के लिए www.pmuy.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन, निकटतम एलपीजी वितरक, सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) आदि, 5 किलोग्राम डबल बोतल कनेक्शन (डीबीसी) का विकल्प, 14.2 किलोग्राम से 5 किलोग्राम तक स्वैप विकल्प, प्रवासी परिवारों के लिए पते और राशन कार्ड के प्रमाण के बजाय स्व–घोषणा पर नया कनेक्शन लेने का प्रावधान शामिल हैं।
इसके अलावा, ओएमसी लगातार नए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप शुरू कर रहे हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। पीएमयूवाई योजना के लॉन्च के बाद से, ओएमसी ने देश भर में 7905 डिस्ट्रीब्यूटरशिप चालू की हैं, जिनमें से 7325 (यानी 93%) ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं दे रही हैं (01.04.2016 से 30.06.2024 के दौरान कमीशन की गईं)। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए प्रति व्यक्ति खपत बढ़कर प्रति वर्ष 3.95 रिफिल हो गई है। इसके अलावा, देश में एलपीजी कवरेज अप्रैल 2016 में 62% से बढ़कर अब शत प्रतिशत के करीब पहुंच गया है।
स्वतंत्र स्टडीज और रिपोर्टों से पता चला है कि पीएमयूवाई योजना का ग्रामीण परिवारों, विशेषकर महिलाओं और ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के परिवारों के जीवन पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कुछ प्रमुख लाभों को संक्षेप में नीचे बताया गया है:
(i) पीएमयूवाई के परिणामस्वरूप पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों में बदलाव आया है जिसमें लकड़ी, गोबर और फसल के अवशेष जैसे ठोस ईंधन जलाना शामिल है। स्वच्छ ईंधन के उपयोग से घर के अंदर वायु प्रदूषण कम होता है, जिससे श्वसन स्वास्थ्य में सुधार होता है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों में, जो परंपरागत रूप से घरेलू धुएं के संपर्क में अधिक आते हैं।
(ii) ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेष रूप से दूरदराज के स्थानों में, परिवार अक्सर अपने समय और ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन को इकट्ठा करने में खर्च करते हैं। एलपीजी ने गरीब घरों की महिलाओं के कठिन परिश्रम और खाना पकाने में लगने वाले समय को कम कर दिया है। इस प्रकार, उनके पास उपलब्ध खाली समय का उपयोग आर्थिक उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों में किया जा सकता है।
(iii) बायोमास और पारंपरिक ईंधन से एलपीजी की तरफ जाने से जाने से खाना पकाने के लिए लकड़ी और अन्य बायोमास पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे वनों की कटाई और पर्यावरणीय गिरावट में कमी आती है। इससे न केवल परिवारों को लाभ होता है बल्कि व्यापक पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में भी योगदान मिलता है।
(iv) खाना पकाने के लिए एलपीजी का उपयोग खुली आग से संबंधित दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करता है, जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों से जुड़ी आकस्मिक जलने और चोट लगने की घटनाएं कम हो जाती हैं, जिससे सुरक्षित घरेलू वातावरण में योगदान होता है।
यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
source: https://pib.gov.in