माघ पूर्णिमा 2025: माघ पूर्णिमा पर स्नान-दान करने के लिए पांच दुर्लभ संयोग

माघ पूर्णिमा 2025: माघ पूर्णिमा को पूरे वर्ष के सबसे अच्छे पूर्णिमा स्नान भी कहा जाता है। माघ पूर्णिमा पर स्नान-दान का महत्व दोगुना हो गया है क्योंकि यह एक दुर्लभ संयोग है।
माघ पूर्णिमा 2025: हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण है। माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से साधक को सुख और समृद्धि मिलती है।
धर्मग्रंथों ने इस दिन स्नान-दान का महापर्व बताया है।ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघ महीने की पूर्णिमा पर तीर्थ के जल में भगवान विष्णु का निवास है। इस दिन तिल दान करने से कई यज्ञ करने से भी अधिक पुण्य मिलता है।
माघ पूर्णिमा सबसे खास क्यों है?
पुराण कहता है कि माघ की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगा जल में रहते हैं। इस दिन जो भी श्रद्धालु हैं, वे गंगा में स्नान करते हैं। जप और दान करने के बाद उन्हें सार्वजनिक बंधनों से छुटकारा मिलता है। ग्रंथों में माघ भगवान भास्कर और श्रीहरि विष्णु का महीना है।
श्रद्धालु बुधवार को सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर नदियों में स्नान करेंगे। माघ पूर्णिमा पर चंद्रमा और धन की देवी लक्ष्मी को पूजा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से आपको सुख-समृद्धि मिलेगी। रात में माघ पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष भी दूर होता है।
माघ पूर्णिमा, 2025
माघ पूर्णिमा की तिथि वैदिक पंचांग के अनुसार 11 फरवरी को शाम 06:55 मिनट पर शुरू होगी और 12 फरवरी को शाम 07:22 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदय तिथि का बहुत महत्व है। यही कारण है कि 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।
माघ पूर्णिमा 2025 के लिए शुभ योग
माघ महीने की पूर्णिमा तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। 12 फरवरी कुम्भ संक्रांति है। इस दिन सूर्य देव कुंभ राशि में बदल जाएगा। संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान होता है।
माघ महीने में पड़ने वाली यह तिथि बहुत खास मानी जाती है और इस दिन कई ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं जो खुशहाली लाने के लिए किए जाते हैं। देवी-देवताओं की कृपा पाने और मोक्ष पाने के लिए इस पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए इसे “ब्रह्म पूर्णिमा” भी कहा जाता है। माघ पूर्णिमा पर कुछ शुभ, सौभाग्य, शोभन, शिववास, गजकेसरी और त्रिग्रही योग बनेंगे।
स्नान उत्सव
इस दिन भी मकर संक्रांति की तरह तिल देना बहुत महत्वपूर्ण है। माघ पूर्णिमा गंगा-यमुना के संगम पर चलने वाले कल्पवास का अंतिम दिन होता है। माघ पूर्णिमा धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन पूरे महीने की तपस्या के बाद कल्पवास का समापन होता है।
स्नान-दान की हर तिथि को महापर्व कहते हैं। इस पर्व में दान, तप और यज्ञ बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस दिन स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा, पितरों का श्राद्ध और गरीबों को दान करने का विशेष लाभ मिलता है। जरूरतमंद को कुछ देना चाहिए: भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, पादुका आदि।
सूर्य और चाँद पूजा
माघ का आखिरी दिन है। माघ में भगवान सूर्य की पूजा करने से बीमारी और बुराई दूर होती है, इसलिए सुबह जल्दी उठकर उसे जल चढ़ाते हैं। उत्तरायण चलते हुए इस दिन सूरज को गर्म करने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां खत्म होती हैं। सूर्य को स्नान करने के बाद ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
ग्रंथों में कहा गया है कि पितरों को पूर्णिमा पर चंद्रमा का अर्घ्य मिलता है, जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं। माघ की पूर्णिमा पर चंद्रमा अपने दोस्त सूर्य की राशि में होगा। इसलिए इसका प्रभाव अधिक होगा। नीरोगी रहने के लिए औषधियों को एक दिन चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन खाना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां कम होने लगती हैं।
पुराणों (ब्रह्मवैवर्त, पद्म और मत्स्य)
माघी पूर्णिमा पर स्नान करना और दान करना बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रह्मवैवर्त पुराण कहता है कि माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगा जल में रहते हैं। इस दिन जो भी श्रद्धालु हैं, वे गंगा में स्नान करते हैं। जप और दान करने के बाद उन्हें सार्वजनिक बंधनों से छुटकारा मिलता है। ग्रंथों में माघ भगवान भास्कर और श्रीहरि विष्णु का महीना है।
श्रद्धालु रविवार को सूर्योदय के समय तीर्थस्थलों पर नदियों में स्नान करेंगे। पद्म पुराण के अनुसार, अगर आप माघ मास में व्रत, दान या तपस्या नहीं कर सकते हैं, तो पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर प्रयागराज या गंगा में तीन नदियों के संगम में नहाने से आपको अक्षय पुण्य मिलता है।
यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो घर पर पानी में कुछ गंगाजल और चुटकी भर तिल मिलाकर नहाने से भी तीर्थ स्नान करने की तरह पुण्य मिलता है। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि इस दिन ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करने से ब्रह्मलोक मिलता है। इसलिए ये पर्व पुण्य देता है।
तीर्थ स्नान के परिणाम
माघ पूर्णिमा सत्ताइसवें नक्षत्र मघा के नाम से हुई थी। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। अगर पूरे महीने तीर्थ स्नान नहीं कर सकते तो माघ पूर्णिमा पर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अनिवार्य है। इससे पूरे माघ महीने में स्नान करने का पुण्य मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा भी बरकरार है।
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