Maha Kumbh Mela 2025: 45 दिन का मेला शुरू होने में लगभग एक महीना बचा है।
Maha Kumbh Mela 2025: प्रयागराज के संगम घाट पर आप देखने वाले हैं बड़े-बड़े तंबू, चिलम सुलगाते नागा साधू, जटाएं लहराते हुए डुबकी लगाते संत, रंगीन लाइटें, जगह-जगह लाउडस्पीकर और पुलिस। कारण यहां महाकुंभ का आयोजन है। प्रयागराज, धर्म और आस्था की नगरी, इन दिनों महाकुंभ की तैयारियों में व्यस्त है। 45 दिन का मेला शुरू होने में लगभग एक महीना बचा है।
संगम मेले में देश भर से लोग स्नान करने आते हैं। प्रयागराज के संगम सहित प्रमुख घाटों पर स्नान करना एक मनोरम अनुभव हो सकता है इस विशिष्ट धार्मिक उत्सव के दौरान। इस दौरान अखाड़े के साधुओं की पेशवाई सबसे खास होती है। अब सवाल उठता है कि कुंभ में आखिर क्या होता है? पेशवाई में कौन शामिल है? साधुओं की पेशवाई का इतिहास क्या है? इसके बारे में जानें-
धर्म की रक्षा करने के लिए संतों ने हथियार उठाए
हिंदुओं में, कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह माना जाता है। संस्कृति और धर्म को समाज से जुड़े रखने का महापर्व कुंभ है। यह पर्व कुंभ के वाहक साधु-संतों के प्रति समाज की आस्था का प्रतीक है। यही साधु संत हैं जिन्होंने धर्म और संस्कृति को विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मजबूत किया, बल्कि देश की रक्षा के लिए बार-बार हथियार भी उठाए।
प्रयागराज में महाकुंभ का उत्सव शुरू हो गया है और संगम सहित सभी घाट सजने लगे हैं। 13 जनवरी से संगम नगरी देवलोक की तरह दिखाई देगी। इस दौरान साधुओं की अद्भुत पेशवाई देखने के लिए कुछ नहीं होगा। कुंभ में अखाड़ों की पेशवाई सबसे खास है। यह आयोजन उनकी दृढ़ता और बल का प्रतीक है। राजसी शानो-शौकत से साधु-संतों के कुंभ में प्रवेश करना पेशवाई है। साधु-संत शाही रूप में हाथी, घोड़े और रथों से निकाले जाते हैं, और उनका मार्ग में लोग स्वागत करते हैं और सम्मान करते हैं। ये संत अपनी सेना और परंपराओं के साथ नगर में निकलते हैं, अपने-अपने अखाड़ों के ध्वजा लेकर। कुंभ नगरी में शाही पेशवाईयों को देखने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।
2025 में महाकुंभ मेला कब शुरू होगा?
13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा स्नान से महाकुंभ शुरू होता है। वहीं, कुंभ पर्व 26 फरवरी 2024 को महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान के साथ समाप्त होगा। यही कारण है कि महाकुंभ 45 दिन तक चलता है, जिसकी सुंदरता बेमिसाल है।