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Maharana Pratap Jayanti 2024 date: महाराणा प्रताप की जयंती को दो दिन क्यों मनाया जाता है? ये रोचक बातें आप नहीं जानते होंगे

Maharana Pratap Jayanti 2024 date: Google ने राजपूत शासक महाराणा प्रताप की जयंती को लेकर दो अलग-अलग तारीखें बताई हैं। 9 मई, या आज, महाराणा प्रताप की जयंती है, लेकिन कुछ लोग 22 मई को महाराणा प्रताप की जयंती मनाने के बारे में अनिश्चित हैं। लोग पूछते हैं कि महाराणा प्रताप की असली जन्मतिथि 22 मई या 9 मई 1540 है। अगर आप भी कन्फ्यूजन में हैं तो बता दें कि महाराणा प्रताप की जयंती हर साल दो बार मनाई जाती है। इसका कारण भी अलग है।

महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ था?

महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ था?
Maharana Pratap Jayanti 2024 date

दरअसल, महाराणा प्रताप 9 मई 1540 को पैदा हुए थे। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इसी तारीख को महाराणा प्रताप की जयंती हर वर्ष मनाई जाती है। महाराणा प्रताप की आज 489 वीं वर्षगांठ है। किंतु इस बार उनका जन्म दिवस विक्रम संवत के अनुसार मनाया जाएगा।

उनका जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार जेठ मास की तृतीया को गुरु पुष्य नक्षत्र में हुआ था। इसलिए 22 मई को भी महाराणा प्रताप की जयंती है। ऐसे में मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप की जयंती हिंदू पंचांग और अंग्रेजी कैलेंडर दोनों के अनुसार मनाई जा रही है।

महाराणा प्रताप की शादी और बच्चे

महाराणा प्रताप की शादी और बच्चे
Maharana Pratap Jayanti 2024 date

हम सब महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा जानते हैं, लेकिन उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें आम लोगों को पता नहीं हैं। Maharaja Pratap की निजी ज़िंदगी की बात करें तो उन्होंने कुल ग्यारह शादियां की थीं। इन राजनीतिक शादियों में उनके 17 बेटे और 5 बेटियां शामिल थीं। महाराणा प्रताप ने महाराणा अजाब्दे के पुत्र अमर सिंह को राजगद्दी सौंप दी।

महाराणा प्रताप का पारिवारिक जीवन

महाराणा प्रताप का पारिवारिक जीवन
Maharana Pratap Jayanti 2024 date
महाराणा प्रताप की वीरता की गाथा
Maharana Pratap Jayanti 2024 date

महाराणा प्रताप के 24 भाई और 20 बहनें थीं, एक इतिहासकार ने बताया। प्रताप के सौतेले भाई ने खुद अजमेर आकर अकबर से विवाह कर लिया था। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका कहा जाता था। वह युद्ध में 208 किलोग्राम की दो तलवारें, 72 किलोग्राम का कवच और 80 किलोग्राम के भाले लेकर गया था।

महाराणा प्रताप की वीरता की गाथा

महाराणा प्रताप ने मुगलों से अपने राज्य को बचाने के लिए जीवन भर लोहा लिया। माना जाता है कि उन्होंने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने हार नहीं मानी।

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