मंत्री श्री रामविचार नेताम: “कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि मेहनतकश किसानों को सक्षम बनाने में कृषि वैज्ञानिकों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया

कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मेहनतकश किसानों को सक्षम बनाया है। इससे आज किसान उन्नत कृषि तकनीक का इस्तेमाल कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। उनका कहना था कि हमारी सरकार, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में, किसानों की समृद्धि और उन्नति के लिए निरंतर काम कर रही है। हमारे देश के अन्य राज्यों की तुलना में हमारी सरकार ने किसानों को धान का सही मूल्य देकर उनका सम्मान बढ़ाया है। मंत्री श्री नेताम ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 39वें स्थापना दिवस समारोह में यह बात कही। ।

मंत्री श्री रामविचार नेताम को इस अवसर पर लॉइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों को लागू करने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया था। कुलपति डॉ. गिरिश चन्देल, किसान श्री नारायण भाई चावड़ा, शिक्षक श्री बी.आर. चन्द्रवशी और डॉ. एम.एन. श्रीवास्तव को लॉइफ टाइम अचीमेंट पुरस्कार भी मिला। मंत्री श्री रामविचार नेताम ने इस अवसर पर ‘‘कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल’’ का शुभारंभ किया।

कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सहित देश के किसानों को कृषि और कृषि क्षेत्र में सक्षम बनाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को इस दिशा में विचार करना चाहिए। हमारी सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए कई निर्णय लिए हैं। हमारी सरकार किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल और 31 सौ रूपए प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीद रही है, जो देश में सबसे अच्छी कीमत है। साथ ही, किसानों को किए गए वायदों के अनुरूप लगभग 3800 करोड़ रुपये की बोनस राशि भी दी गई है। इससे क्षेत्र के किसानों को धन मिला है।

मंत्री श्री नेताम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अखरोट और केशर जैसे चिन्हाकिंत फसलों की अपनी अलग पहचान है। यह पहचान वहां के मेहनतकश किसानों की मेहनत से मिलती है। वहाँ के किसानों ने कॉपरेटिव क्षेत्र बनाकर एग्रो से जुड़कर उन्नत खेती की है। कार्यशाला में इसके बारे में भी जानेंगे और समझेंगे। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के 39वें स्थापना दिवस एवं कार्यशाला को बधाई दी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरिश चन्देल ने कार्यशाला की अध्यक्षता की। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और राष्ट्रीय कृषि विकास सहकारी लिमिटेड, बरामूला (जम्मू-कश्मीर) ने मिलकर कार्यशाला का आयोजन किया।

इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के 21 राज्यों से 400 से अधिक कृषि वैज्ञानिक और शोधार्थी शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूमि, जल और पर्यावरण क्षेत्र में मौजूद अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करके संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए इनमें निरंतर होने वाली कमियों को सुधारने के तरीके खोजे जाएंगे। सम्मेलन में वैज्ञानिकों और शोधार्थियों द्वारा संबंधित विषयों पर लेख प्रस्तुत किए गए।

उल्लेखनीय है कि 20 जनवरी 1987 को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की स्थापना हुई थी। छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार को विश्वविद्यालय ने अपने 28 कृषि महाविद्यालयों, 4 कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालयों, 1 खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, 8 अनुसंधान केंद्रों और 27 कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से संचालित किया है। वर्तमान में विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग 9000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिनमें स्नातक पाठ्यक्रमों में 2763, स्नात्तकोत्तर पाठ्यक्रमों में 500 और शोध पाठ्यक्रमों (पीएचडी) में 115 हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से, लगभग 162 प्रजातियों की 52 फसलें विकसित की गई हैं और कृषि से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए 100 से अधिक तकनीकें बनाई गई हैं।

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