श्रीमती निर्मला सीतारमण: बुनियादी सीमा-शुल्क से 36 अतिरिक्त जीवन रक्षक दवाएं (कैंसर सहित) बाहर की जाएंगी।
- ई-मोबिलिटी को विकसित करना: बुनियादी सीमा-शुल्क से छूट पाने के लिए विद्युत चालित वाहनों की बैटरी बनाने के लिए 35 अतिरिक्त खर्च
- व्यापार को आसान बनाने और आम लोगों को राहत देने के लिए घरेलू विनिर्माणकर्ताओं को सहायता देने के अतिरिक्त उपाय
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी, 2025 को संसद में केन् द्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए कहा कि सीमा शुल् क की दरों को युक्तिसंगत बनाने और शुल् क समायोजन के समाधान पर ध्यान दिया गया है। वित् त मंत्री ने कहा कि यह प्रस्ताव घरेलू विनिर्माणकर्ताओं को मदद करेगा और निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा, जिससे व् यापार और आम लोगों को राहत मिलेगी।
जुलाई 2024 में सीमा शुल् क दरों की संरचना की समीक्षा करने का वादा इस बजट का मुख्य मुद्दा है। नई व्यवस्था में औद्योगिक वस्तुओं के लिए सात सीमा शुल् क दरों को हटाया जाएगा। बजट 2023-24 में पहले भी सात कर दरों को हटाया गया था, लेकिन अब केवल आठ टैरिफ रेट ही रहेंगे, जिसमें “शून् य” शुल्क भी शामिल है। बजट में अधिकतम एक उपकर या अधिभार नहीं लगाने का प्रस्ताव है। इस प्रक्रिया से उपकर के अंतर्गत 82 टैरिफ लाइनों पर समाज कल्याण अधिभार से छुटकारा मिलेगा।
दवा आयात पर राहत
बजट में असाधारण बीमारियों और कैंसर के मरीजों को राहत देने का भरपूर प्रयास किया गया है। इसके तहत बुनियादी सीमा-शुल् क (बीसीडी) से पूरी तरह छूट-प्राप्त 36 जीवनरक्षक दवाओं को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव है। यह भी कहा जाता है कि छह जीवनरक्षक दवाओं को 5% के रियायती सीमा-शुल्क वाली दवाओं की सूची में शामिल किया जाएगा। अब थोक औषधियों पर भी पूर्ण छूट और रियायती शुल्क लागू होंगे।
दवा बनाने वाली कंपनियों द्वारा चलाए जाने वाले रोगी सहायता कार्यक्रमों में विशिष्ट औषधियों और दवाओं को बुनियादी सीमा-शुल्क से पूरी तरह छूट मिलती है, जिसमें रोगियों को दवाओं की आपूर्ति पूरी तरह मुफ्त होनी चाहिए। बजट में अब 37 अतिरिक्त दवाओं और 13 नए रोगी सहायता कार्यक्रमों की घोषणा की गई है।
घरेलू उत्पादन और मूल्यवृद्धि को सहायता
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बजट में छूट-प्राप्त पूंजीगत वस्तुओं की सूची में 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं और मोबाइल फोन बैटरी के निर्माण के लिए 28 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं को शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है। इससे मोबाइल फोन और विद्युत चालित वाहनों के लिए घरेलू लिथियम आयन बैटरी का उत्पादन बढ़ेगा।
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोबाल्ट पाउडर और इसके अवशेषों, साथ ही लिथियम-आयन बैटरी, पारा, जिंक और बारह अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के अवशेषों पर पूरी तरह से छूट दी गई है। इससे भारत में विनिर्माण लक्ष्य को इन आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी और देश में रोजगार की संख्या को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। जुलाई 2024 के बजट में बीसीडी ने बीस ऐसे महत्वपूर्ण खनिजों को पूरी तरह छूट दी थी।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर तकनीकी कपड़े उत्पादों (कृषि कपड़े, चिकित्सा क्षेत्र के कपड़े और भू-वस्त्र) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरी तरह छूट प्राप्त टेक्सटाइल मशीनरी की सूची में दो अन्य प्रकार के शटल-रहित करघों को शामिल किया जाएगा। उन् होंने कहा कि नौ टैरिफ लाइनों द्वारा कवर किए गए बुने कपड़े पर बीसीडी दर को “10 प्रतिशत अथवा 20 प्रतिशत” से बढ़ाकर “20 प्रतिशत अथवा 115 रुपए प्रति किलोग्राम, जो भी अधिक होगा।”
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (आईएफपीडी) पर बीसीडी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है, साथ ही ओपन सेल सहित अन्य घटकों पर बीसीडी को कम करके 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। उन् होंने कहा कि यह कदम शुल्क समायोजन प्रणाली को सुधारेगा।
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि पोत-निर्माण में महत्त्वपूर्ण कार्य शुरू करने से पहले की अवधि लंबी होती है। ऐसी स्थिति में अगले दस वर्षों तक जलपोतों को बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल, घटकों, उपभोज्यों और पुर्जों पर बीसीडी से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। बजट में भी पुराने पोतों को तोड़ने (शिप-ब्रेकिंग) को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की अनुमति दी गई है।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्गीकरण के विवादों को कम करने के लिए कैरियर ग्रेड इथरनेट स्विच पर बीसीडी को नॉन-कैरियर ग्रेड इथरनेट स्विच के समकक्ष लाने के लक्ष्य के साथ 20 प्रतिशत से 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।
निर्यात में वृद्धि
देश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ कर-प्रस्ताव भी बनाए जा रहे हैं। हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात की अवधि को छह महीने से एक वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है, जो आवश्यकतानुसार अगले तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है। बजट में शुल्क-मुक्त इनपुट की सूची में नौ अतिरिक्त वस्तुओं को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि वेट ब्लू लेदर पर बीसीडी से पूर्ण छूट देने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे घरेलू मूल्यवृद्धि और रोजगार के लिए आयात को सुविधाजनक बनाया जाएगा। इसमें क्रस्ट लेदर को 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क से छूट देना भी शामिल है, जिससे छोटे चर्मशोधकों को निर्यात करना आसान होगा।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि विनिर्माण के लिए फ्रोजन फिश पेस्ट (सुरीमी) और इसके जैसे उत्पादों के निर्यात पर बीसीडी को 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है, जिससे भारत को वैश्विक समुद्री खाद्य बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जाएगा। यह भी दिखाता है कि फिश हाइड्रोलीसेट पर बीसीडी को 15 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना चाहिए, जिससे मछलियों और झींगे को आहार मिलेगा।
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने जुलाई, 2024 के बजट में वायुयानों और जलपोतों के लिए घरेलू एमआरओ के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मरम्मत के लिए आयातित विदेशी सामान के निर्यात की अवधि छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष की गई। अब एक वर्ष और बढ़ाया जा सकता है। रेल वस्तुओं के लिए भी बजट 2025–26 में छूट दी गई है।
व्यापार करना आसान और कारोबार करना आसान
वर्तमान में, सीमा शुल्क अधिनियम में 1962 में अंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए कोई समय-सीमा नहीं है, जिससे व्यापार और कारोबार में अनिश्चितता बनी रहती है और खर्च बढ़ता है। प्रोविजनल कर-निर्धारण को अंतिम रूप देने के लिए दो वर्षों का समय-सीमा तय करने का प्रस्ताव किया जा रहा है, जो आवश्यकतानुसार एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है, ऐसी परिस्थितियों में व्यापार करने की सुगमता को बढ़ाना चाहते हैं।
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बजट में एक नया प्रावधान शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे आयातक या निर्यातक माल की मंजूरी के बाद स्वेच्छा से महत्वपूर्ण तथ्यों की घोषणा कर सकें और ब्याज सहित शुल्क का भुगतान कर सकें, बिना किसी जुर्माने के। इस कदम से स्वैच्छिक अनुपालन बढ़ेगा। अलग बात यह है कि विभाग पहले ही लेखापरीक्षा या अन्वेषण कार्य शुरू कर चुके हैं, तो नया प्रावधान लागू नहीं होगा।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि संगत नियमों में आयातित इनपुट के अंतिम उपयोग की अवधि छह महीने से बढ़ाकर एक साल करने का प्रस्ताव है, जिससे उद्योग को अपनी आयात गतिविधियों के लिए बेहतर योजना बनाने का अवसर मिलेगा। इससे लागत और आपूर्ति की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए कार्य संचालन में सुविधा और सुगमता मिलेगी। यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे आयातकों को अब केवल तिमाही रिपोर्ट की बजाय मासिक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
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