PM Modi: मोदी सरकार के लिए अभी एक चुनौतीपूर्ण दौर शुरू हुआ है।

PM Modi: एनडीए या बीजेपी को इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे खुश नहीं कर रहे हैं। वर्तमान में केंद्र में स्थिर सरकार है और प्रत्येक व्यक्ति को अपना-अपना मंत्रालय मिला है।

PM Modi: मोदी सरकार को हालांकि आगे चुनौतियों से गुजरना होगा। अगले कुछ दिनों में, राजनीति से लेकर गर्वनेंस तक कई बड़े उठापठक और गतिविधियां देखी जा सकती हैं।

नरेंद्र मोदी की अगुवाई में, आम चुनावों के बाद NDA का तीसरा चरण शुरू हो गया है। विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद कुछ महीनों तक राजनीति व्यस्त रहती है। लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं। 4 जून को हुए नतीजे, जिससे देश में एक दशक बाद गठबंधन की राजनीति फिर से शुरू हुई, 2024 में कहानी अभी बाकी है। अगले कुछ दिनों में, राजनीति से लेकर गर्वनेंस तक कई बड़े उठापठक और गतिविधियां हो सकती हैं। यानी अगले कुछ दिनों में देश की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है कुछ ऐसी घटनाएं होने वाली हैं।

मोदी सरकार के सामने आने वाली पहली चुनौती क्या है?

नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह दिखाए कि गठबंधन में शामिल होने के बाद भी उनकी प्रतिष्ठा कम नहीं हुई है। तीसरे टर्म का पहला पूर्णकालिक बजट 23 जुलाई को पेश किया जाएगा, जो इसका पहला बड़ा प्रमाण होगा। आंध्र प्रदेश को बड़े वित्तीय पैकेज की मांग कर रहे हैं उनके सहयोगी चंद्रबाबू नायडू, बजट पेश होने से पहले। दूसरे राज्यों से भी दबाव बढ़ेगा अगर केंद्र सरकार उन्हें पैकेज देती है। यदि सरकार बजट में रिफॉर्म की ओर जारी रहती है या पॉपुलिस्ट अजेंडा को अपनाने का लोभ दिखाती है, तो यह भी देश की दिशा को निर्धारित करेगा।

बड़े निर्णयों पर निगाहें

चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने लगातार कहा था कि तीसरा टर्म महत्वपूर्ण निर्णय लेगा। बजट या संसद सत्र इसलिए बड़े निर्णय लेते हैं। बजट सत्र में न सिर्फ बजट ही नहीं, बल्कि शेष बिलों पर भी ध्यान रहेगा जो केंद्र सकरार इसमें प्रस्तुत करेगा। 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के अलावा नागरिकता संशोधन कानून को पहले ही संसद सत्र में पास कर लिया था। लेकिन क्या अब सरकार बड़े फैसलों के लिए तैयार है? क्या BJP और सरकार अभी भी इसके लिए खतरा उठाने को तैयार हैं? यह भी अगले कुछ दिनों में दिखेगा, खासकर संसद के बजट सत्र में। विपक्षी दल ने संसद के पहले सत्र में ही सरकार से टकराव करने के लिए पूरी तरह तैयार हो गए हैं। ऐसे में आक्रामक हो चुके विपक्ष से सरकार किस तरह निपटती है, वह भी आगे की दिशा तय करेगा।

साथ ही सरकार को अगले कुछ दिनों में जनगणना पर भी निर्णय लेना होगा। 2021 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए। केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि इसकी सूचना अक्टूबर में जारी की जा सकती है। लेकिन इसमें जाति-जनगणना जोड़ने का दबाव पहले से ही विपक्ष से है। इसके बावजूद, JDU और TDP, जो पहले से जाति-जनगणना की पक्षधर रही हैं, अब सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं। बिहार में नीतीश कुमार ने राज्य स्तर पर जाति-जनगणना की व्यवस्था की है। ऐसे में अब विरोधी दबाव को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।

गर्वनेंस के अलावा, 2024 में राजनीतिक क्षितिज पर विस्फोट की पूरी योजना भी तैयार है। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में आने वाले विधानसभा चुनाव अब बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। जानकारों का मानना है कि इस बार केंद्रीय सरकार और बीजेपी के इकबाल के लिए ये चुनाव एक मेक या ब्रेक मोमेंट होगा। BJP अगर इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करती है, तो वह न सिर्फ अपनी कम हुई लोकप्रियता को वापस पाएगी, बल्कि ऐसे दल को भी अपनी ओर आकर्षित करेगी जो अभी तटस्थ रहने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा को मजबूती मिल सकती है, क्योंकि दूसरे दलों के नेताओं की उससे फिर से निकटता देखने को मिल सकती है। साथ ही, राज्यों पर उसका नियंत्रण बना रहेगा, जिससे राजनीतिक जनादेश बड़े निर्णयों के लिए सपोर्ट करेगा। लेकिन इसके विपरीत होने पर BJP और केंद्र सरकार के लिए अगले कदम बहुत मुश्किल होगा। यहां से सहयोगियों के दबाव का भी असल रूप सामने आ सकता है।

हावी होने की कोशिश करते हुए सहयोगी दल

तना ही नहीं, प्रतिकूल परिणाम BJP की आंतरिक संरचना को प्रभावित कर सकते हैं और गुटबाजी सामने आ सकती है। इसलिए बीजेपी इस चुनाव को करो या मरो के तर्ज पर ले रही है। महाराष्ट्र में मजबूत विपक्ष से निपटने के लिए एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली NDA सरकार ने मध्य प्रदेश में लाडली योजना शुरू की, जो महिलाओं को प्रति महीने 1500 रुपये की सहायता देती है। इसे तुरंत लागू किया गया। भाजपा भी हरियाणा और झारखंड में अपना पूरा प्रयास कर रही है। लेकिन पार्टी को पता है कि ये चुनाव आसान नहीं है। 4 जून के चुनाव परिणाम में, विपक्ष ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था। साथ ही 2025 में कोई महत्वपूर्ण चुनाव नहीं होगा। सिर्फ बिहार के चुनाव होंगे जहां BJP पहले ही JDU के साथ सरकार में है। ऐसे में वहां भी JDU हर हाल में BJP पर हावी होने की कोशिश करेगी।

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