राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में भाग लिया

हरियाणा के हिसार में गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आज (10 मार्च, 2025) राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को बदलती वैश्विक मांगों के अनुरूप युवा पीढ़ी को तैयार करना एक चुनौतीपूर्ण काम है। देश का संतुलित और निरंतर विकास होना चाहिए, इसके लिए गांवों तक शिक्षा और प्रौद्योगिकी का लाभ पहुंचे। गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों का इस मामले में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्हें खुशी हुई कि विश्वविद्यालय में छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक विद्यार्थी हैं। उन्हें विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने गांव और शहर के लोगों को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करें और उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयीन शोध भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्हें खुशी हुई कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने विभिन्न शोध और अनुसंधान परियोजनाओं में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें अनुसंधान परियोजनाओं, इनक्यूबेशन, स्टार्टअप और पेटेंट फाइलिंग के लिए अलग-अलग विभाग हैं। उनका मानना था कि ये सभी प्रयास विद्यार्थियों में नवाचार और उद्यमिता की भावना पैदा करेंगे और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनने में मदद करेंगे।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों को बताया कि शिक्षा सिर्फ ज्ञान और कौशल देने का नहीं है, बल्कि करुणा, नैतिकता और सहिष्णुता जैसे जीवन मूल्यों को भी सिखाती है। शिक्षा एक व्यक्ति को रोजगार के लिए योग्य बनाने के अलावा उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक बनाती है। उनका कहना था कि विद्यार्थियों को उद्यमिता करना सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद कर सकता है। उन्हें अवसरों की पहचान करने, जोखिम उठाने और समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने में उद्यमशीलता की क्षमता मिलेगी। उद्यमी के रूप में वे समाज की प्रगति में योगदान दे सकते हैं और सामाजिक समस्याओं का समाधान अपने नवोन्मेषी विचारों से खोज सकते हैं। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से नौकरी पाने के बजाय नौकरी बनाने की भावना अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह की सोच से आगे बढ़ने पर वे अपने ज्ञान और क्षमता को समाज के कल्याण के लिए अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकेंगे और भारत को विकसित देश बनाने में मदद कर सकेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को गुरु जम्भेश्वर जी के नाम पर रखा गया है, जो एक बड़े संत और दार्शनिक थे। वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नैतिक जीवनशैली और पर्यावरण संरक्षण के दृढ़ समर्थक थे। उनका मानना था कि मनुष्य की नैतिक जिम्मेदारी है प्रकृति की रक्षा करना, सभी जीवों को प्यार करना और उनकी सुरक्षा करना। गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं आज बहुत प्रासंगिक हैं क्योंकि आज हम पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान खोज रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी गुरु जम्भेश्वर जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज और देश की प्रगति में अपना योगदान देते रहेंगे।
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