देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में भारतीय रक्षा लेखा सेवा और भारतीय दूरसंचार सेवा के परिवीक्षाधीनों के एक समूह से मुलाकात की।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण में सेवा दे रहे हैं। उभरती प्रौद्योगिकियों, तेजी से फैलती सूचनाओं और बदलते वैश्विक हालात एक जटिल लेकिन दिलचस्प परिदृश्य बनाते हैं। उनने अधिकारियों को बताया कि भारत को समावेशी बनाने और वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में उनका योगदान महत्वपूर्ण होगा। उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करते समय हमेशा नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी गई। निर्णय लेते समय उन्हें समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए। देश का भविष्य उनके विचारों, फैसलों और कार्यों से बहुत प्रभावित होगा।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे हमारे देश के सशस्त्र बलों की आर्थिक व्यवस्था की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्हें पारदर्शिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखना, जवाबदेही का वातावरण बनाए रखना और स्थिर वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित करना शामिल होगा। उन्होंने उनसे ऑडिटिंग और लेखा प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए नवीन तरीकों और अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करने का अनुरोध किया। उनका कहना था कि पूरी लगन से काम करके वे न केवल हमारे सशस्त्र बलों का आर्थिक प्रबंधन मजबूत करेंगे, बल्कि देश की सुरक्षा और समृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मोबाइल फोन और हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क के आगमन से देश ने पिछले दो दशकों में एक परिवर्तनकारी दूरसंचार क्रांति देखी है। इस क्रांति ने भारत की बहुत बड़ी डिजिटल क्षमता का पता लगाया है। आईटीएस अधिकारी देश के लोगों को सशक्त बनाने और उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके देश के समावेशी विकास में मदद कर सकते हैं, जो डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाकर किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने उनसे दूरसंचार नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए शोध और विकास पर ध्यान देने को कहा।
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