Punjab Highcourt: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की 2024-25 की आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि शराब का व्यापार मौलिक अधिकार नहीं है। सरकार ने नीति को नियमों के अनुसार बनाया है और अनावश्यक हस्तक्षेप नीतिगत मामलों में सही नहीं है।
मोगा की मेसर्स दर्शन सिंह एंड कंपनी ने हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार ने शराब ठेके ड्रॉ के माध्यम से 2024-25 के लिए अलॉट करने का फैसला किया है।
हाल ही में आवेदन शुल्क सिर्फ 3500 रुपये था, लेकिन अचानक इसे 75000 रुपये कर दिया गया है। आवेदन शुल्क का नियम है कि यह पैसा वापस नहीं मिलेगा अगर अलॉटमेंट नहीं होता।
याची ने बताया कि अब तक सरकार ने लगभग 35,000 आवेदन प्राप्त किए हैं, जिससे 260 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। सरकारी नियमों के कारण, जो लोग ड्रॉ में नाम नहीं देंगे, उनके आवेदन की लागत के 75000 हजार रुपये डूब जाएंगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि आवेदन फीस में भारी बढ़ोतरी न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। सरकार की इस नीति को रद्द करने की अपील हाईकोर्ट से की गई है।
मोगा की मेसर्स दर्शन सिंह एंड कंपनी ने हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार ने शराब ठेके ड्रॉ के माध्यम से 2024-25 के लिए अलॉट करने का फैसला किया है। हाल ही में आवेदन शुल्क सिर्फ 3500 रुपये था, लेकिन अचानक इसे 75000 रुपये कर दिया गया है। आवेदन शुल्क का नियम है कि यह पैसा वापस नहीं मिलेगा अगर अलॉटमेंट नहीं होता।
याची ने बताया कि अब तक सरकार ने लगभग 35,000 आवेदन प्राप्त किए हैं, जिससे 260 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। सरकारी नियमों के कारण, जो लोग ड्रॉ में नाम नहीं देंगे, उनके आवेदन की लागत के 75000 हजार रुपये डूब जाएंगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि आवेदन फीस में भारी बढ़ोतरी न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।
सरकार की इस नीति को रद्द करने की अपील हाईकोर्ट से की गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत को राज्य की नीति से जुड़े मामलों में दखल नहीं देना चाहिए जब तक कि कोई अवैध कार्य या दुर्भावना नहीं दिखाई देता। हाईकोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ ही आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।