Rabindranath Tagore Jayanti 2024: नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय, जानें दिलचस्प बातें
Rabindranath Tagore Jayanti 2024: सबको पता होगा कि टैगोर ने भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान लिखे थे, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि टैगोर की कविता भी श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा बनाती है। टैगोर के जन्म की कुछ महत्वपूर्ण बातें आपको पता है।
7 मई को राष्ट्रगान के लेखक, कवी और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर को ‘गुरुदेव’ भी कहा जाता है। वे पहले भारतीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिल गया था। ये तो सब जानते होंगे कि टैगोर ने भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रगान लिखा था, लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है। टैगोर के जन्म की कुछ महत्वपूर्ण बातें आपको पता है।
Rabindranath Tagore Jayanti 2024
रवींद्रनाथ टैगोर 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।
7 मई 1861 को जोड़ासांको में एक बंगाली परिवार में रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ। टैगोर की जयंती भारत में 7 मई को मनाई जाती है, जबकि बांग्लादेश में 9 मई को मनाई जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था, और उनकी माता का नाम शारदा देवी था। 14 भाई-बहनों में वे सबसे छोटे थे।
लंदन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करने के बाद, बिना डिग्री के ही देश लौटे
टैगोर ने बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया था। सेंट जेवियर स्कूल ने उनकी प्रेरणा दी। 1878 में वे ब्रिजस्टोन पब्लिक स्कूल, इंग्लैंड में पढ़ने लगे। बाद में लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की, लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए देश लौट आए। फिर उन्होंने लिखना शुरू किया।
टैगोर की कविता भी श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा है।
‘जन गण मन’, रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत का राष्ट्रगान बनाया है। उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी लिखा गया है। टैगोर की कविता भी श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा है। टैगोर ने सिर्फ कवि, संगीतकार, नाटककार और निबंधकार के रूप में काम नहीं किया, बल्कि बहुविध साहित्यिक विधाओं में भी माहिर थे।
8 साल की उम्र में पहली बार खेलना
टैगोर ने बचपन से ही कहानियां और प्रवचन लिखे। वे अपनी पहली कविता महज आठ साल के थे। 16 साल की उम्र में टैगोर ने अपनी पहली लघुकथा (Short Story) लिखी थी। 1901 में, टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाके में शांति निकेतन नामक एक प्रायोगिक विद्यालय खोला। इस स्कूल ने भारतीय और पश्चिमी परंपराओं को मिलाने का प्रयास किया। 1921 में इस विद्यालय का नाम बदलकर विश्वभारती विश्वविद्यालय हो गया।
1913 में मिले साहिब में नोबेल पुरस्कार
टैगोर विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित करने वाले पहले व्यक्ति थे। धर्म संसद स्वामी विवेकानंद का पहला भाषण था। टैगोर ने बहुत सारे लेख लिखे। 1913 में, रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कृति काव्यरचना गीतांजलि के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता। वे पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे जो ये पुरस्कार जीतते हैं। टैगोर ने नोबेल पुरस्कार को सीधे नहीं लिया था; इसके बजाय, पुरस्कार को ब्रिटेन के एक राजदूत ने लिया था।
7 अगस्त 1941 को टैगोर का निधन हुआ
रवींद्रनाथ टैगोर को ब्रिटिश सरकार ने भी ‘सर’ की उपाधि दी थी, लेकिन जलियांवाला बाग कांड (1919) के बाद उन्होंने इसे वापस कर दिया। टैगोर ने बैरिस्टर बनने का सपना देखा था। रवींद्रनाथ टैगोर का कलर ब्लाइंडनेस बताया जाता है। उनके प्रोस्टेट में कैंसर था। रवींद्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को हुआ था।