
Rajasthan News: 10 सत्रों में 36 साहित्यकार भाग लेंगे, साथ ही कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
Rajasthan News: जवाहर कला केन्द्र ने तीन दिवसीय विजयदान देथा साहित्य उत्सव का शुभारंभ किया, जो राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए राजस्थान सरकार की बजट (2024-25) की घोषणा से प्रेरित है। कार्यक्रम का उद्घाटन कला, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन और पुरातत्व विभाग के शासन सचिव श्री रवि जैन ने किया। पहले दिन के उत्सव सत्र में विजयदान देथा के साहित्यिक योगदान पर चर्चा हुई और ब्रह्म स्वरूप शब्दों की साधना पर जोर दिया गया।
शासन सचिव श्री रवि जैन ने राजस्थानी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार को साहित्य उत्सव का आयोजन करने के लिए धन्यवाद दिया। उनका कहना था कि उत्सव में राजस्थान के महान लेखों को समर्पित एक सत्र रखा गया है। जिनमें सभी राजस्थानी लालित्य से सराबोर होंगे। इस कार्यक्रम से युवा पीढ़ी अपनी मातृभाषा से जुड़ेगी और भाषा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक फैलेगी। उद्घाटन सत्र में विजयदान देथा की जीवनी और साहित्यिक योगदान पर चर्चा हुई।
“शब्द ब्रह्म हैं, इसकी साधना आवश्यक है।”
डॉ. राजेश कुमार व्यास, श्री राजवीर चलकोई और डॉ. गजादान चारण ने साधो! सबद साधना कीजे कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति और धरोहर के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. राजेश कुमार व्यास ने कहा कि विजयदान देथा ने लोक कहानियों को पूरा किया और सच्ची शब्द साधना की। श्री राजवीर चलकोई ने कहा कि राजस्थानी भाषा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए और इसे व्यावहारिक तरीके से सिखाना चाहिए। श्री गजादान चारण ने कहा कि राजस्थानी भाषा को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सामाजिक चेतना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्हें राजस्थानी संस्कृति, साहित्य और इतिहास पढ़ने पर जोर दिया गया।
‘ढाई कड़ी की रामलीला’ में सीता-हरण का प्रसंग
‘ढाई कड़ी की रामलीला’ का मंचन रंगायन सभागार में राजस्थान की अनूठी नाट्य विधा में हुआ। विश्वामित्र दाधीच के निर्देशन में हुई इस विशेष प्रस्तुति में ‘सीता हरण प्रसंग’ का मंचन हुआ। कलाकारों ने महिला और पुरुष पात्रों के संवादों को अलग-अलग लय और शैली में गाकर दर्शकों तक पहुँचाया। राजस्थान की एक दुर्लभ नाट्य परंपरा, “ढाई कड़ी की रामलीला” में अभिनय और संगीत का गहरा तालमेल देखने को मिलता है।
उत्सव के दूसरे दिन सुबह 9:00 बजे प्रातः कालीन संगीत सभा, 10:00 बजे रानी लक्ष्मी कुमारी चुंडावत सत्र में राजस्थानी भासा मांय महिला लेखन री कूंत, 11:45 बजे सीताराम लालस सत्र में भासा री रमझोळ-कुण सी राजस्थानी, दोपहर 2:00 बजे किशोर कल्पनाकांत सत्र में टाबरां सारूं लेखन, दोपहर 3:00 बजे चतर सिंह बावजी सत्र में लोक वार्ता और सायं 6:30 बजे कवि सम्मेलन का आयोजन होगा।
इस अवसर पर श्रीमती अलका मीणा, केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक, वरिष्ठ लेखाधिकारी बिंदु भोभरिया, वरिष्ठ साहित्यकार और बहुत से साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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