धर्म

Ramadan 2025: रमजान की शुरुआत से 10 दिनों तक क्या महत्व है, आइए जानते हैं बरकत का अशरा क्या है?

Ramadan 2025: रमजान महीने भर तीन हिस्सों में रोजा रखा जाता है। इन्हें अशरा कहते हैं। रमजान की शुरुआत से दस दिनों तक पहला अशरा रहमत या बरकत का होता है।

Ramadan 2025: 2 मार्च 2025 से इस्लाम का सबसे पवित्र महीना रमजान शुरू हो चुका हैं। मुसलमान रमजान में पूरे महीने रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। मान्यता है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह से जुड़ाव होता है और नेकी करने से उसका 70 गुना सवाब मिलता है। आइए जानते हैं कि अशरा क्या है और रमजान महीने में इसका महत्व क्या है।

क्या होता है अशरा

अल्लाह ने रमजान के पवित्र माह में मोमिनों को तीन अशरों में तक्सीम (विभाजन) दिया है। इन रोजे को अशरा कहा जाता है क्योंकि वे 10-10 रोजे में विभाजित हैं। अशरा अरबी शब्द है, जिसका मतलब है “दस”। रमजान की शुरुआत से 10 दिनों तक चलने वाले रोजे को पहला अशरा (बरकत या रहमत) कहा जाता है; 11 से 20 दिनों तक चलने वाले रोजे को दूसरा अशरा (मगफिरत) कहा जाता है; और 21 दिनों तक चलने वाले रोजे को तीसरा अशरा कहा जाता है (दोजख से छुट्टी)। हर अशरा का भी अलग उद्देश्य होता है। रोजेदारों को इन अशरों में विशिष्ट दुआएं पढ़ने से अधिक सवाब मिलता है। रमजान की शुरुआत से 10वें दिन के रोजा का इस्लाम में क्या महत्व है, आइए जानते हैं।

बरकत का अशरा क्या है?

रमजान की शुरुआत से दस दिनों तक रखे जाने वाले रोजे का पहला अशरा है। इसे बरकत का अशरा या रहमत का अशरा भी कहते हैं। पहले अशरे में रोजा रखने और नमाज अदा करने से अल्लाह की रहमत मिलती है। इस दौरान रोजेदारों को नेकी के काम करने की सलाह दी जाती है, जैसे दान करना, गरीबों की सहायता करना आदि।

रमजान 2025 से पहले अशरे की दुआ

रोजेदारों को रहमत और बरकत वाले पहले अशरे में अल्लाह से दुआ करनी चाहिए। दस रोजे तक इस दुआ को कसरत से पढ़ें। साथ ही सात नेकी और इबादत भी करें।

पहले अशरे की दुआ हिंदी में: अल्लाहुम्मा अर्हम्नी

अंग्रेजी में अशरे की दुआ पढ़ें: Allahumma arhamni

उर्दू में अशरे की दुआ पढ़ें: اللَّهُمَّ ارْحَمْنِي

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