Rang Panchami 2025: 19 या 20 मार्च को रंग पंचमी कब मनाई जाएगी? सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

Rang Panchami 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली का उत्सव कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है, जो पांच दिन बाद चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी को रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है।
Rang Panchami 2025: हिंदू धर्म में 2025 में 14 मार्च को होली का त्योहार बड़े उत्साह से मनाया जाएगा। इसके बाद रंग पंचमी आएगा। रंग पंचमी के दिन देवी-देवताओं को रंग-बिरंगे गुलाल अर्पित किए जाते हैं, जबकि होली के दिन प्रेम और सौहार्द का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन गुलाल को आसमान में उड़ाया जाता है, जिससे देवता प्रसन्न होते हैं और लोगों पर अपनी कृपा बरकरार रखते हैं।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि आसमान में उड़ते गुलाल का स्पर्श करने से पाप मिट जाते हैं और जीवन भर सुख-समृद्धि मिलती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हर साल रंग पंचमी का त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधारानी को गुलाल अर्पित किया जाता है, और कुछ स्थानों पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है।
कब है रंग पंचमी?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली का उत्सव कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है, जो पांच दिन बाद चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी को रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है। 19 मार्च, बुधवार को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। रंग पंचमी को कृष्ण पंचमी भी कहते हैं, और इसे श्रीपंचमी या देव पंचमी भी कहते हैं।
रंग पंचमी
- 18 मार्च, मंगलवार को 10:09 बजे चैत्र मास की पंचमी तिथि शुरू होगी।
- कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि: गुरुवार 20 मार्च को रात 12:37 बजे
- यही कारण है कि रंग पंचमी 19 मार्च को ही मनाई जाएगी, उदयातिथि के अनुसार।
रंग पंचमी का अर्थ
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने रंग पंचमी के दिन राधा रानी के साथ होली खेली थी। देवी-देवता इस मौके पर आसमान से फूलों की बरसात करते हैं। इसलिए रंग पंचमी पर अबीर-गुलाल उड़ाने की परंपरा है। माना जाता है कि पंचमी तिथि पर रंगों का उत्सव दैवीय शक्तियों पर अधिक प्रभाव डालता है, जिससे लोगों का दुःख धीरे-धीरे कम होता है। दैवीय शक्तियां आज भी घर-परिवार में सुख और समृद्धि बनाए रखती हैं।
रंग पंचमी पर करें ये उपाय
- रंग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- जल में रोली, अक्षत और शहद डालना न भूलें।
- नारियल पर सिंदूर छिड़ककर किसी शिव मंदिर में जाकर उसे भगवान शिव को अर्पित करें।
- एक तांबे के लोटे में जल लेकर मसूर की दाल डालकर शिवलिंग को जल से पूजा करें।
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