Shab-E-Barat 2025: शब-ए-बारात में मुसलमान इबादत, फजीलत, रहमत और माफी की रात में ये काम जरूर करें।
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Shab-E-Barat 2025: 13 फरवरी 2025 को मगरिब की अजान के साथ शब-ए-बारात भी शुरू होगा। यहाँ मुसलमानों को इबादत और मगफिरत की इस विशिष्ट रात पर क्या करना चाहिए।
Shab-E-Barat 2025: मुस्लिम समाज आज गुरुवार की रात शब-ए-बारात का त्योहार मनाएगा। इस्लामियों के लिए यह त्योहार महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस्लामिक कैलेंडर शाबान (इस्लाम के आठवें महीने) की 15 तारीख को मनाया जाता है, जो आज 13 फरवरी 2025 को है। आज शाम को मगरिब की अजान के बाद शब-ए-बारात भी मनाया जाएगा।
शब-ए-बारात शाबान के चौथे और पांचवें दरमियानी रात को मनाया जाता है। इसमें मुसलमान रात भर जागकर कुरान पढ़ते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। साथ ही अपने देश, परिवार, दोस्तों और दुनिया की सुरक्षा की दुआ करते हैं।
शब-ए-बारात में पूरी रात दुआएं होती रहती हैं। इसलिए इसे मगफिरत, रहमत, फजीलत और इबादत की रात कहा जाता है। इस्लाम की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह शब-ए-बारात की रात की गई हर जायज दुआओं को कबूल करता है और अपने बंदों के गुनाहों को माफ करता है।
शब-ए-बारात, गुनाहों से तौबा करने की महत्वपूर्ण रात है।
इस्लाम में महत्वपूर्ण रातों में से एक है शब-ए-बारात, जिसमें लोग पूरी रात जागकर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों से तौबा करते हैं। मुसलमान इस रात अपने पूर्वजों की मगफिरत की भी दुआ करते हैं। शब-ए-बारात पर कुछ लोग कब्रिस्तान में जाते हैं और फातिहा पढ़ते हैं।
शब-ए-बारात इस्लाम धर्म में महत्वपूर्ण रातों में से एक है।
इस्लाम में पांच रातें अहम हैं। ये रातें हैं जब अल्लाह अपने बंदों के सही दुआओं को मानते हैं। ये पांच राते हैं: शब-ए-बारात, ईद, बकरीद, मेअराज और रमजान में शब-ए-कद्र। इन रातों में अल्लाह की रमहत लोगों पर बरसती है।
रोजा रखने की भी परंपरा है
शब-ए-बारात पर भी दो दिनों का रोजा रखना आवश्यक है। शब-ए-बारात के दिन पहला रोजा और दूसरा रोजा अलग-अलग दिन रखा जाता है। रमजान महीने में फर्ज रोजा नहीं होता, बल्कि नफिल रोजा होता है। यानि लोग रोजा अपनी श्रद्धानुसार रखते हैं। इस दिन रोजा रखना कुरान में फर्ज नहीं है या अनिवार्य नहीं है। लेकिन अल्लाह शब-ए-बारात पर रोजा रखने से पहले और बाद में किए गए सभी गुनाहों को माफ कर देता है।
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