
श्री भूपेंद्र यादव: सरिस्का बाघ परियोजना विस्थापन, परिवारों को नया जीवन मिला
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, राज्य पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री संजय शर्मा, तिजारा विधायक महंत श्री बालक नाथ योगी और प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से सरिस्का बाघ परियोजना में विस्थापित परिवारों का पुनर्वास और विकास किया गया। पहले ग्राम कांकवाडी के 8 परिवारों को स्थानांतरित किया गया, फिर सुकोला के 24, पानीढाल के 24, हरिपुरा के 9, डाबली के 14 और लोज के 99 परिवारों को स्थानांतरित किया गया, कुल 178 परिवारों को 350 हेक्टेयर आरक्षित वनभूमि पर स्थानांतरित किया गया। विस्थापित परिवारों को छह बीघा कृषि भूमि और 60 एक्स 90 फीट (600 वर्ग गज) की आवासीय जमीन दी गई।
खैरथल-तिजारा जिले के रूंध तिजारा में एक कार्यक्रम में श्री भूपेंद्र यादव ने विस्थापित परिवारों को संबोधित किया और वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उनका कहना था कि विस्थापन प्रक्रिया सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है, जो सामाजिक और पर्यावरणीय समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने विस्थापित परिवारों के बच्चों की शिक्षा के लिए प्राथमिक स्कूल में दो नए कमरे संसदीय कोष से बनाने की घोषणा की, दो प्रस्ताव सरकार को भेजे गए और एक पूर्व सभापति भिवाड़ी नगर परिषद संदीप दायमा ने बनाया।
श्री संजय शर्मा ने कहा कि सरिस्का क्षेत्र तत्परता से काम कर रहा है ताकि यह देश और दुनिया भर में अपनी छाप छोड़े। उन्होंने बताया, सरिस्का में वर्तमान में 42 बाघ/बाघिन हैं। उनका कहना था कि गैर खातेदारी अधिकार मिलने पर सभी परिवारों को केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाओं का लाभ मिलेगा।
विस्थापन स्थल पर दो आवासीय कॉलोनियां बनाई गईं, जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने बताया। पेयजल सुविधा के लिए बोरवेल का निर्माण किया गया था और उसे बिजली कनेक्शन दिया गया था। प्रत्येक घर को पानी मिलने के लिए पानी की टंकी बनाई गई। आवासीय कॉलोनियों में कृषि भूखंडों और ग्रेवल सड़कों को जोड़ने के लिए मार्ग बनाए गए हैं।
सरकारी निर्देशों के अनुसार, विस्थापित परिवारों को गैर-खातेदारी का अधिकार दिया गया था। जिला कलेक्टर ने 350 हेक्टेयर जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में डाला। मुख्य अतिथि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और अध्यक्ष राज्य पर्यावरण मंत्री सहित कार्यक्रम में उपस्थित 21 परिवारों को भूमि जमाबंदी दी गई।
उनका कहना था कि वनभूमि के राजस्व रिकॉर्ड में शामिल होने से विस्थापित परिवार कृषि ऋण, किसान सम्मन निधि योजना, पीएम आवास योजना और अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार की कई योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
विस्थापित परिवारों को लगभग छह वर्षों के बाद अपनी जमीन का आधिकारिक अधिकार मिला। विस्थापित परिवारों का जीवनस्तर सुधारने का यह महत्वपूर्ण प्रयास सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्य वन संरक्षक और वन्य जीव प्रतिपालक जयपुर सहित अन्य जनप्रतिनिधि और विस्थापित परिवारों ने इस दौरान मौजूद रहे।
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