UP News: अब उत्तर प्रदेश में संपत्ति के बंटवारे या परिजनों के नाम करने पर केवल 5000 रुपये का स्टाम्प शुल्क लगेगा। योगी सरकार ने एक नवीनतम और सुविधाजनक उपाय शुरू किया है जो आम आदमी के जीवन के अधिकारों को सुधारेगा।
UP News: यूपी और बिहार जैसे राज्यों में पुरानी संपत्ति को लेकर अक्सर बहस होती है। इस प्रक्रिया में लोगों को वर्षों तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ता है। कई हत्याएं होती हैं, और इस मुद्दे का अपराध बढ़ने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार अपने नागरिकों को इस समस्या से बचाने पर काम कर रही है। सरकार आम आदमी के लिए स्वस्थ निवास का वातावरण बना रही है। जिसमें जल्द ही संपत्ति वितरण और नियंत्रण के लिए नवीनतम प्रणाली लागू होने जा रही है। अब पीढ़ियों की संपत्ति आसानी से इस व्यवस्था में बांटी जा सकेगी। इसके अलावा, व्यक्ति खुद के जीवित रहते अपनी संपत्ति को अपने परिवार के सदस्यों के नाम कर सकता है।
5000 स्टाम्प लागत होगी
अब उत्तर प्रदेश में पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है, क्योंकि 5,000 रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ आप अपनी संपत्ति को अपने रक्त संबंधियों के नाम करने में बड़ी सहूलियत मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे के लिए देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये लगाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक खर्च के कारण परिवार में विवाद और कोर्ट मुकदमे अक्सर होते हैं। न्यूनतम स्टाम्प शुल्क परिवार के बीच विलय को आसान बना देगा।
संपत्ति विभाजित करने में सरलीकरण होगा
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में कहा कि राज्य सरकार ने आम आदमी के अधिकारों के लिए बहुत कुछ किया है, प्रधानमंत्री जी के निर्देश पर। व्यवस्थापना प्रक्रिया और संपत्ति विभाजन में सरलीकरण से लोगों को अधिक सुविधा मिलेगी।
यह विभाजित होता है
विभाजन विलेख में, विभाजित संपत्ति में सभी पक्षकारों को एक संयुक्त हिस्सा मिलता है और विभाजन उनके मध्य होता है।
विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी, अर्थात यदि दादा की मूल संपत्ति में वर्तमान में जीवित हिस्सेदार भतीजा, भतीजी या चाचा हैं, तो वे इसका उपयोग कर सकते हैं।
यह होता है व्यवस्थापन
व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) व्यवस्थापन विलेख में अपनी बड़ी संपत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है।
व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है। अर्थात सम्पत्ति यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है।