वरदान फार्म पौंड योजना किसानों के लिए साबित हो रही है वरदान
फार्म पौंड व सिंचाई पाईप लाईन के लिए किसान 20 जून तक करें ऑनलाइन आवेदन
जिले में फसलों के लिए सिंचाई हेतु जल व्यवस्था को मध्यनजर रखते हुए कृषि विभाग द्वारा संचालित फार्म पौंड योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) दौसा डॉ प्रदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि गत वर्ष जिले को फार्म पौंड व सिंचाई पाइप लाइन योजना अंतर्गत भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य आवंटित किए गए थे। राज किसान साथी पोर्टल पर उपलब्ध आवेदनों में से रेंडमाइजेशन के उपरांत प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई थी । वित्तीय वर्ष 2023-24 में सिंचाई पाइप लाइन एवं फॉर्म पौंड की प्रशासनिक स्वीकृति जारी करने से शेष रहे आवेदन तथा वित्तीय वर्ष 2024- 25 में सिंचाई पाइप लाइन एवं फॉर्म पौंड योजना में 20 जून 2024 तक प्राप्त आवेदनों का आवश्यक होने पर वर्ष 2024-25 लक्ष्यों हेतु रेण्डमाईजेशन किया जाकर श्रेणीवार किसानों की प्राथमिकता सूची तैयार की जावेगी। जिले के पात्र एवं इच्छुक किसान 20 जून 2024 तक फॉर्म पौंड एवं पाइप लाइन पर अनुदान के लिए नजदीकी ई- मित्र केंद्र पर जाकर राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
कृषि विभाग की योजनाओं पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन इस प्रकार करें
कृषि अधिकारी दौसा अशोक कुमार मीणा ने बताया कि इच्छुक एवं पात्र किसान खेत की नवीनतम जमाबंदी, नक्शा ट्रेश, लघु – सीमांत प्रमाण पत्र, जनआधार कार्ड, कोटेशन तैयार करवा कर स्वयं या नजदीकी ई- मित्र केंद्र पर जाकर राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
फार्म पौंड हेतु कृषि विभाग द्वारा इस तरह दिया जा रहा है अनुदान
कृषि अधिकारी दौसा धर्म सिंह गुर्जर में बताया कि फॉर्म पौंड बनाने के लिए किसान के पास एक ही जगह न्यूनतम 0.3 हेक्टेयर भूमि का होना आवश्यक है। विभाग द्वारा अधिकतम 1200 घन मीटर के फॉर्म पौंड निर्माण करवाने पर लघु -सीमांत, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला कृषकों को प्लास्टिक लाइनिंग फार्म पौंड निर्माण पर अधिकतम 135000 एवं कच्चा फॉर्म पौंड बनाने का 73500 एवं सामान्य श्रेणी के किसानों को प्लास्टिक लाइनिंग फॉर्म पौंड पर 1,20,000 रुपए एवं कच्चा फॉर्म पौंड बनाने पर 63000 का अनुदान दिया जा रहा है। जिले में वर्ष 2023-24 में 308 फॉर्म पौंड वर्ष 2022-23 में 197, वर्ष 2021-22 में 145 , 2020-21 में 135 फार्म पौंड का निर्माण कृषि विभाग के माध्यम से करवाया गया था।