Vat Savitri Vrat 2024: साल 2024 में वट सावित्री व्रत की सही तिथि और महत्व जानें

Vat Savitri Vrat 2024: ज्येष्ठ माह के सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है वट सावित्री का व्रत। विवाहित महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करके अपने पति को लंबी उम्र की कामना करती हैं। जीवन में आने वाली समस्याएं इससे दूर होंगी। 2024 में वट सावित्री व्रत कब होगा, आइए जानते हैं।

Vat Savitri Vrat 2024: यह वट सावित्री व्रत लगभग हर महिला अपने पति के जीवनकाल में मनाती है। ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत मनाया जाता है। इस व्रत को भी करने से आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल और सफल होगा। देश के कुछ भागों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से पति लंबे समय तक जीवित रहता है। यूपी राज्य में ये व्रत बिहार खासतौर पर मनाया जाता है। बरगद के पेड़ के नीचे ये पूजा की जाती है। नवविवाहित स्त्रियों का व्रत विशेष है। वट सावित्री व्रत सौभाग्य का प्रतीक है। 2024 में वट सावित्री व्रत कब होगी?

Vat Savitri Vrat kab hai

वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा के दिन किया जाता है। 6 जून, 2024 को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा।

Vat Savitri Vrat 2024 Puja Vidhi

सुहागिन महिलाएं वट सावित्री के व्रत के दिन यमराज और बरगद की पूजा करती हैं ताकि वे सुरक्षित रहें। इस दिन स्नान करके सूर्योदय तक व्रत रहेंगे।

वट सावित्री पूजा के एक दिन पहले काले चने के पानी में भिगो दें। यमराज ने सावित्री को चने के रूप में सत्यवान के प्राण दिये थे, इसलिए इस पूजा में गीला अनाज अवश्य चढ़ाया जाता है।

अब सोलह श्रृंगार करके सप्तधान्य को एक बांस की टोकरी में बरगद के पेड़ के नीचे रखें. दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की तस्वीर रखें।

बरगद के पेड़ पर कच्चा दूध और जल डालें। ब्राह्मण सहिंता में देवी सावित्री लोकमातरम् कहा गया है। सत्य व्रतं च सवित्रं यमं चावाहयाम्यहम्॥ इस मंत्र को दोहराते हुए त्रिदेवों और माता सावित्री का आह्वान करें।

लाल वस्त्र, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, सिन्दूर, भीगे हुए चने, फल, मिठाइयां और धूप और घी का दीपक जलाएं। संयुक्त सौभाग्यद्रव्य सवित्र प्रतिगृहरतम्। इस मंत्र को बार-बार दोहराएं।

अब वट वक्ष के तने के चारों ओर रक्षा सूत या कच्चे सूत को लपेटकर 108 बार घुमाएं। आप भी सात या ग्यारह परिक्रमा कर सकते हैं। सावित्री व्रत की कहानी सुनें।

अब ग्यारह विवाहित महिलाओं को भोजन और फल दें।

Vat Savitri Vrat का महत्व

अमावस्या और पूर्णिमा दोनों वट सावित्री व्रत तिथि हैं। विवाहित महिलाएं दोनों दिन वट वृक्ष की पूजा करती हैं और उसके ऊपर रक्षा सूत्र बांधती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश बरगद के पेड़ में रहते हैं। ऐसे में वट सावित्री का व्रत करने से पति की अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। शास्त्र कहते हैं कि वट सावित्री का शीघ्र व्रत करने से परिवार सुखी होता है।

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