तुलसीदास के 5 चुनिंदा दोहे

दुर्जन दर्पण सम सदा, करि देखौ हिय गौर।  संमुख की गति और है, विमुख भए पर और

तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयौ किसान।  पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान॥

अमिय गारि गारेउ गरल, नारी करि करतार।  प्रेम बैर की जननि युग, जानहिं बुध न गँवार॥