JDU के प्रमुख नेता संजय झा को CM नीतीश ने राज्यसभा में क्यों भेजा, जानिए इसके सियासी अर्थ

भारतीय जनता पार्टी (जदयू) के वरिष्ठ नेता संजय झा ने बुधवार को राज्यसभा में नामांकन किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वसनीय नेता संजय झा हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निकट सहयोगी और सरकार में मंत्री रह चुके संजय कुमार झा अब राज्यसभा जाएंगे। 14 फरवरी को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निकट सहयोगी संजय झा को राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया गया था। उनका नामांकन दाखिल हुआ। यही कारण है कि नीतीश कुमार ने संजय झा पर ही भरोसा क्यों जताया? इसका राजनीतिक अर्थ क्या है? नीतीश कुमार के लंबे समय से सबसे विश्वासपात्र संजय झा रहे हैं।

जेडीयू की रणनीति बनाने वाली टीम में वे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने बीजेपी से जेडीयू का गठबंधन कराने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नीतीश कुमार अक्सर संजय झा के साथ रहते हैं और कार्यक्रमों में उनके साथ आते जाते रहते हैं। संजय झा और सीएम नीतीश कुमार एक साथ दिखते हैं, चाहे दौरा हो या कोई दूसरा कार्यक्रम हो। जेडीयू की रणनीति भी संजय झा ने बनाई है। नीतीश कुमार ने संजय झा को दिल्ली दरबार में बीजेपी अध्यक्ष से सहयोग करने का अवसर दिया है।

जेडीयू में संजय झा दूसरे स्थान पर हैं

जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश बाबू हैं। जेडीयू में अब संजय झा नंबर दो हैं, जबकि ललन सिंह पहले नंबर दो थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ललन सिंह ने खुद स्वीकार किया कि संजय झा ने बीजेपी के साथ जेडीयू को जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वहीं पहले बीजेपी और जेडीयू के बीच समझौता करने में हरिवंश का महत्वपूर्ण योगदान था। बीजेपी से अलग होने के बाद भी नीतीश बाबू ने हरिवंश को पार्टी से बाहर नहीं निकाला था, लेकिन इस बार संजय झा ने नई सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अब केसी त्यागी की भूमिका सीमित लगती है क्योंकि वे बिहार से सीधे नहीं जुड़े हैं और अधिकांश समय दिल्ली के मीडिया हाउस में पार्टी का पक्षधर हैं। वहीं, मुंगेर लोकसभा चुनाव ललन सिंह का मुख्य लक्ष्य है। ऐसे में संजय झा को पटना से दिल्ली तक जेडीयू और बीजेपी को एकजुट करने की पूरी जिम्मेदारी दी गई है।

जेडीयू ब्राह्मण वोट बैंक पर नजर है

बिहार में जाति गणना में ब्राह्मण जाति का हिस्सा 3.65% है। 47 लाख 81 हजार 280 लोग बिहार में ब्राह्मण हैं। ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है। जेडीयू ने संजय झा को आगे करके बिहार की ब्राह्मण जनता को रिझाने का प्रयास किया है। जेडीयू ने बिहार के ब्राह्मणों को खुश करने के लिए संजय झा को राज्यसभा भेज दिया क्योंकि वे लंबे समय से ब्राह्मण जाति के प्रमुख नेता रहे हैं।

जेडीयू मिथिलांचल, कोसी और सीमांचल में पैर जमाना चाहती है

मिथिलांचल, कोसी और सीमांचल में बहुत से ब्राह्मण रहते हैं। ब्राह्मण इन तीनों क्षेत्रों के चुनावों को प्रभावित करते हैं। नीतीश बाबू ने इसलिए संजय झा को राज्यसभा भेजना चुना। कांग्रेस ने मिथिलांचल क्षेत्र से गौरीशंकर राजहंस को राज्यसभा भेजा था। ब्राह्मण नेताओं में से एक हैं संजय झा, जो गौरीशंकर राजहंस के बाद राज्यसभा भेजा गया है। मिथिलांचल में संजय झा को राज्यसभा भेजे जाने का व्यापक प्रभाव होगा। जेडीयू ने अपने आधार को मजबूत करने के लिए कई निर्णय लिए हैं। जेडीयू का मिथिलांचल में प्रभाव बढ़ाने के लिए भी संजय झा को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया गया है।

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