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नीम करौली बाबा के आश्रम का नाम कैंची धाम क्यों पड़ा? ये रोचक कहानी पढ़ें

हनुमान जी के इस मंदिर में देश भर से लोग आते हैं। यहां सच्चे मन से जो भी मांगते हैं, वह मनोकामना जरूर पूरी होती है। ये हनुमान मंदिर कहां है? कैसे आप यहाँ आ सकते हैं? इसका पूरा विवरण यहाँ उपलब्ध है।

कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। यह स्थान 20वीं सदी के महान संतों में से एक, नीम करौली बाबा के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है। नीम करौली बाबा ने अपने जीवन में कई चमत्कार किए हैं, जिन्हें हनुमान जी का अवतार माना जाता है।

कैंची धाम का जन्म

1961 में, नीम करौली बाबा ने पहली बार कैंची धाम आए थे। 15 जून 1964 को, उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर कैंची धाम की स्थापना की। 10 सितंबर 1973 को, नीम करौली बाबा ने जीवन त्यागकर महासमाधि ली। मृत्यु होने पर उनके अस्थि कलश को धाम में ही रखा गया। 1974 में बड़े स्तर पर मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।

कैंची धाम कहा जाता है क्यों?

कैंची धाम का नाम कैंची धाम इसलिए पड़ा क्योंकि दो पहाड़ियों के बीच का रास्ता कैंची के आकार का है।

कैंची धाम मान्यता

कैंची धाम एक पवित्र स्थान है, जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहाँ हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। भक्त हर साल 15 जून को कैंची धाम में स्थापना दिवस मनाते हैं। भक्तों को इस दिन विशेष भंडारा और भोजन दिया जाता है।

कैंची धाम कैसे पहुंचे?

कैंची धाम तक पहुंचने के लिए आप हवाई, रेल या सड़क का उपयोग कर सकते हैं।

हवाई यात्रा: कैंची धाम से लगभग 70 किमी दूर पंतनगर हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से आश्रम तक पहुंचने के लिए स्थानीय बसों और टैक्सियों का उपयोग किया जा सकता है।

रेलवे: यहां से लगभग 38 किमी दूर काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। कैंची धाम के लिए काठगोदाम से बस या टैक्सी मिल सकता है।

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