उस समय केबल टीवी या सैटेलाइट चैनल नहीं थे। गावों और शहरों में मनोरंजन का एकमात्र उपाय थिएटर और दूरदर्शन हुआ करता था। उस समय एक ऐसा शो हुआ कि सड़कों पर सन्नाटा छा गया। आप अभी तक हम किस शो की बात कर रहे हैं समझ चुके होंगे अगर आप कुछ भी सोचते हैं।
जी हां, हम 1987-88 में आए ‘रामायण’ की बात कर रहे हैं। दर्शक इस शो में जो भी चरित्र प्ले करते हैं, उन्हें आज भी उन्हीं के रूप में देखते हैं। शो में बहुत कुछ है। लेकिन आज हम शो में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल पर चर्चा करेंगे। उन्हें ये रोल मिलने के बाद उनकी जिंदगी कैसे बदल गई?
अरुण गोविल को भगवान राम का पद कैसे मिला?
अरुण गोविल ने कुछ महीने पहले ANI को दिए गए एक इंटरव्यू में इससे संबंधित एक रोचक कहानी बताई। उनका कहना था कि शो के पहले निर्माताओं ने उन्हें इस रोल से मना कर दिया था। उन्हें पूरी कहानी सुनाई गई। उनका कहना था कि पहले वे कॉमर्शियल फिल्में करते थे। मैंने आनंद सागर की फिल्म बादल और फिल्म विक्रम बेताल दोनों में काम किया था। मुझे तभी पता चला कि रामानंद सागर साहब रामायण लिखने जा रहे हैं। इसलिए मैंने उनसे संपर्क स्थापित किया। लेकिन, उन्होंने मेरी ऑडिशन को खारिज कर दिया।
मैं लक्ष्मण और भरत के रोल पाया।
उन्होंने कहा कि रामानंद सागर के बेटों ने कहा कि भरत या लक्ष्मण का रोल करो, लेकिन मैंने कहा कि मुझे सिर्फ राम का रोल करना है। मैं किसी भी रोल के लिए नहीं आया हूँ। राम की जगह फिर से किसी और को दी गई। फिर मुझे फोन किया और कहा कि हमारी कमेटी का विचार है कि ‘तेर वर्गा राम नहीं मिलेगा’।
परिवार ने राम का किरदार निभाने को कहा
अरुण गोविल ने कहा कि मेरे परिवार ने मुझे रामायण में काम करने से मना किया था क्योंकि इससे मेरे करियर पर असर पड़ सकता है। क्योंकि उस समय मेरे पास बड़ी फिल्में थीं और किसी माइथालॉजी में काम करना छोटा था लेकिन मैं फिर भी ये किरदार निभाया।
भगवान राम ने मेरी जिंदगी बदल दी
उसने कहा कि हम नहीं जानते थे कि शो इतना बड़ा हिट होगा। अब मुझे लगता है कि श्रीराम ने मुझे इतना कुछ दिया है कि मैं लोगों से निराश नहीं हूँ। वह कहते हैं कि मैं नहीं जानता था कि राम का किरदार कैसे करना है, लेकिन मैंने उसी तरह किया जैसा मेरे मन में राम था।
सिगरेट पीने वाले अरुण गोविल की कहानी
अरुण गोविल ने बहुत अच्छी बात कही। उसने बताया कि एक बार वह एक तेलुगु फिल्म में भगवान बालाजी का किरदार निभा रहे थे और काम करते समय सिगरेट पी रहे थे। ऐसे में एक आदमी मेरे पास आकर मुझसे शिकायत की कि हम आपको देवता मानते हैं और आप ये क्या कर रहे हैं। इसके बाद से मेरी जिंदगी बदल गई। तब से मैं जानता हूँ कि किसी आस्था रखने वाले के मन को दुःख नहीं पहुंचाना चाहिए। उनका कहना था कि स्क्रीन पर राम जी को रोल करने के बाद मेरा बहुत असर हुआ।