होली कब है: यह होलिका फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को जलाया जाता है, और अगले दिन रंग-बिरंगे होली का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन, लोगों में मतभेद दूर हो जाते हैं, एक दूसरे को रंगते हैं और होली की बधाई देते हैं। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी होगा। आइए जानें होलिका दहन की तिथि और पूजा विधि..।
होली का पर्व समाज में जातिगत और आर्थिक भेदभाव को समाप्त करता है और इस दिन लोग एक दूसरे को रंगते हैं, अपने अपमानों को भूला देते हैं और एक दूसरे को गले मिलते हैं। होली का पर्व दो दिन मनाया जाता है: पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन परिवार और मित्रों को अबीर गुलाल लगाया जाता है। होली पर घर घर नए पकवान बनाते हैं, गुझिया बनाते हैं और मुंह मीठा करते हैं।
होली के दिन होलाष्टक
होलाष्टक, होली से आठ दिन पहले लगता है और इस दिन कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि तक चलते हैं। इस बार 17 मार्च से होलाष्टक शुरू होंगे और 24 मार्च को होलिका दहन होगा। होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र होते हैं, इसलिए कोई उत्सव या शुभ कार्य नहीं किए जाते।
होली के दिन चंद्र ग्रहण
होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी होगा। 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू होगा और दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक चलेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं होगा, इसलिए होली पर कोई असर नहीं होगा।
पूर्णिमा
24 मार्च को फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 9 बजे 56 मिनट पर शुरू होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजे 29 मिनट पर समाप्त होगी।
होली कब है?
शास्त्रों में कहा गया है कि अगर दोनों दिन पूर्णिमा तिथि हो तो प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है, जबकि भद्रा नहीं होती। इसलिए होली 24 मार्च को मनाई जाएगी और रंगोत्सव 25 मार्च को मनाया जाएगा। 24 मार्च को भी भद्रा लगेगी. सुबह 9 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 13 मिनट तक चलेगी। इसके बाद होलिका दहन करना होगा।
होलिका दहन का समय
24 मार्च को होलिका दहन 11 बजे 13 मिनट से 12 बजे 32 मिनट तक चलेगा। ऐसे में आपको होली पूजा करने के लिए सिर्फ एक घंटा दो घंटे का समय मिलेगा।
होलिका दहन पूजा
होलिका दहन से पहले स्नान करके पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा में बैठ जाएं। फिर गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाकर थाली में रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल, बताशे और कलश में पानी डालकर रखें। इसके बाद होलिका की पूजा करें और पूजा के सामान को अर्पित करें। साथ ही पांच अनाज भगवान नरसिंह और विष्णु का नाम लेकर अर्पित करें। फिर प्रह्लाद का नाम लेकर अनाज और फूल दें। इसके बाद एक कच्चा सूत लेकर सात होलिका की परिक्रमा करें और गुलाल डालकर जल अर्पित करें।