Narmda river: गंगा की तरह नर्मदा को पवित्र नदी का दर्जा कैसे और किसने दिया?
Narmda river: देश की सबसे पवित्र नदी गंगा है। बताया जाता है कि गंगा में स्नान करने से बहुत पुण्य मिलता है। मां नर्मदा को देखना उससे कहीं बड़ा पुण्य है। यह सिर्फ आम बोलचाल में है। बल्कि शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है। गंगा की तरह नर्मदा को पवित्र नदी का दर्जा कैसे और किसने दिया?. आप पुराणों में बताई गई रोचक कहानी को जानते हैं।
मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा, जिसके कण-कण में शंकर रहते हैं। इसका सबूत खरगोन का बकावा गांव है। यहां हर पत्थर, जो नर्मदा नदी के जल से निकाला गया है, एक शिवलिंग की आकृति में बना हुआ है। नर्मदा पत्थरों को तराशकर शिवलिंग बनाती है। नर्मदा जल से निकले शिवलिंग को भी प्राण-प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती।
गंगा धरती पर इसलिए प्रकट हुई
नर्मदा पुराण के अनुसार हर नदी का एक देवता है, मथुरा के संत ओर परिक्रमावासी जयरामदास महाराज कहते हैं। मां गंगा ने राजा भागीरथी की तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर प्रकट हुई। राजा सगर के 60,000 पुत्रों को तारने के लिए गंगा को पवित्र और फलदायी नदी का वरदान दिया गया था, इसलिए नर्मदा ने भी अपने आराध्य देव भगवान शिव से पूछा कि वे गंगा की तरह पवित्र, फलदायी और पाप मिटाने वाली नदी दें।
भगवान शिव का वरदान
जैसे गंगा में स्नान करने से किसी भी जीव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, मैंने भी पाप क्षीण करने वाली एक नदी बनाई। भगवान ने कहा कि गंगा बदल नहीं सकती। लेकिन नर्मदा नहीं मानी, तो भगवान ने नर्मदा को वरदान दिया कि गंगा में स्नान करने से पाप दूर होते हैं, लेकिन तुम्हारे दर्शन करने से व्यक्ति के सभी पाप दूर होंगे और गंगा की तरह पुण्य मिलेगा। तब से नर्मदा भी गंगा की तरह शुभ और पवित्र नदी कहलाई गई।
भगवान शिव का वरदान
कहाँ कि गंगा में स्नान करने से किसी भी जीव के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। मैंने पाप क्षीण करने वाली नदी भी बनाई। भगवान ने कहा कि गंगा बदल नहीं सकती। लेकिन नर्मदा ने नहीं मानी, इसलिए भगवान ने उसे वरदान दिया। गंगा में स्नान करने से पाप दूर होते हैं, लेकिन आपको देखने से ही व्यक्ति के सभी पाप दूर होंगे। गंगा के समान पुण्य मिलेगा। नर्मदा भी गंगा की तरह शुभ और पवित्र नदी कहलाई जाती है।