BIS Rules: इस नए नियम से आपके पसंदीदा जूते,बाजार से गायब हो सकते हैं,असर दिखने लगा है

BIS Rules: Imported Shoes, भारत में जूते-चप्पलों की गुणवत्ता की शर्तें बदल गई हैं। बाहरी देशों में उत्पाद बना रहे ब्रांडों पर इसका असर हो रहा है..।

आपके पसंदीदा जूते-चप्पल जल्द ही दुकानों से गायब हो सकते हैं। अब से कई बड़े और प्रसिद्ध विदेशी ब्रांडों के फुटवियर के स्टॉक खत्म होने लगे हैं। भारत में नियमों में किए गए एक नवीनतम बदलाव को इसकी वजह बताया जा रहा है।

बचे हुए स्टॉक की बिक्री हो रही हैं।

भारत में अरमानी एक्सचेंज, सुपरड्राई, कैल्विन क्लेन, टॉमी हिल्फिगर और यूएस पोलो एसोसिएशन के स्टॉक समाप्त होने लगे हैं। इनमें से अधिकांश ब्रांडों ने या तो अपने उत्पादों को अपने ऑनलाइन और ऑफलाइन दुकानों से हटा दिया है या बचे हुए उत्पादों को बेच रहे हैं।

बीआईएस गुणवत्ता नियंत्रण आदेश

दरअसल, भारत सरकार ने जूते-चप्पलों की गुणवत्ता की शर्तें बदल दी हैं। भारत में बिकने वाले जूते-चप्पल जैसे सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों का ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) से सत्यापन अब अनिवार्य है। इसके लिए BIS ने क्वालिटी कंट्रोल आदेश जारी किया। ऑर्डर के अनुसार, फाइनल उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों के लिए बीआईएस सर्टिफिकेशन अनिवार्य है.

नवीन नियम क्या कहते हैं?

रबर, पीवीसी (पॉलीयूरेथिन सोल) और हील जैसे कंपोनेंटों को बनाने वाले कारखानों के लिए भी बीआईएस परीक्षण आवश्यक है। चमड़े के जूतों के लिए बीआईएस की इस गुणवत्ता नियंत्रण नीति को पिछले जुलाई में लागू किया गया था। वहीं स्पोर्ट्स शूज, सैंडल, क्लॉग, स्पिलर आदि के लिए नियम जनवरी 2024 से लागू होने वाले थे, लेकिन वे अगस्त तक बढ़ाए गए हैं।

इन देशों में निर्मित उत्पाद

अरमानी एक्सचेंज, सुपरड्राई, कैल्विन क्लेन, टॉमी हिल्फिगर और यूएस पोलो एसोसिएशन के पास भारत में बहुत कम उत्पादन है। ये ब्रांड अपनी अधिकांश वस्तुओं को चीन, वियतनाम, थाईलैंड और मलेशिया से बनाते हैं, फिर इन्हें भारत में निर्यात करते हैं। ब्रांड अपने उत्पादों को भारत में आयात नहीं कर सकते जब तक बाहरी देशों में स्थित फैक्ट्रियों का बीआईएस से सत्यापन नहीं होता है। इससे आपूर्ति प्रभावित होती है।

इन ब्रांडों के पास अब सिर्फ दो रास्ते हैं। या तो वे बीआईएस से अन्य देशों में स्थित प्लांटों को सर्टिफिकेशन कराएं या फिर भारत में ही उत्पादन पर ध्यान दें।

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