CM Yogi Adityanath ने 75वें संविधान दिवस के अवसर पर उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में नवनिर्मित ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया

CM Yogi Adityanath: ’नवीन आपराधिक कानूनों के अंतर्गत न्याय प्रक्रिया में फॉरेंसिक विज्ञान एवं साइबर सिक्योरिटी की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित किया

उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath ने कहा कि 26 नवम्बर, 1949 की तिथि स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तिथि है। बाबा साहब डॉ0 भीमराव आम्बेडकर संविधान के वास्तुकार थे। उनके द्वारा बनाए संविधान को भारत ने 75 वर्ष पूर्व अंगीकार किया था। भारत का संविधान 02 वर्ष 11 माह तथा 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर 26 नवम्बर की तिथि को हम संविधान दिवस के रूप में आयोजित करते हैं। प्रधानमंत्री जी ने 26 नवम्बर, 2015 से संविधान दिवस की शुरुआत की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी 75वें संविधान दिवस के अवसर पर आज यहां उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में नवनिर्मित ऑडिटोरियम का उद्घाटन करने के उपरान्त ’नवीन आपराधिक कानूनों के अंतर्गत न्याय प्रक्रिया में फॉरेंसिक विज्ञान एवं साइबर सिक्योरिटी की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने संस्थान के वेब पोर्टल तथा ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन, संस्थान के ध्वज का लोकार्पण तथा संस्थान के न्यूज लेटर ‘अभ्युदय’ का विमोचन किया। उन्होंने संस्थान के शैक्षणिक सत्र 2023-24 के पी0जी0 डिप्लोमा के प्रथम बैच के मेधावी छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट प्रदान किए। मुख्यमंत्री जी ने सभी को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलायी।

मुख्यमंत्री जी ने संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि सुशासन की पहली शर्त कानून का राज है। इसके लिए यह आवश्यक है कि देश की सभी संवैधानिक संस्थाए संविधान की भावनाओं के अनुरूप कार्य करें। निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए और दोषी व्यक्ति समाज की व्यवस्था को चुनौती भी ना दे सके। इसके लिए समयबद्ध तरीके से एक पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में पहल करते हुए, अपने स्तर पर ईमानदारीपूर्वक प्रयास भी करें।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि समय के अनुरूप अपराध की प्रकृति बदली है। जिस समय भारत में कानून बने थे, उस समय की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियां अलग थीं। उस समय देश परतंत्र था। जब देश स्वतंत्र हुआ, तो समय के अनुरूप हम अपने आपराधिक, सिविल व अन्य कानून नहीं बना पाए थे। वर्ष 1952 में स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव में देश के हर वयस्क मतदाता को बिना किसी भेदभाव के मताधिकार की शक्ति प्रदान की गई थी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत को यह गौरव प्राप्त है। दुनिया के वह देश, जो स्वयं को आधुनिक कहते हैं, उनमें भी मताधिकार में रंगभेद और लिंग भेद होता था। जब देश ने मताधिकार की ताकत अपने नागरिकों को दी है तो भारत के हर नागरिक को समान रूप से न्याय प्राप्त करने का अधिकार भी है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से भारत ने 01 जुलाई, 2024 से तीन नए कानून लागू किए हैं। इनमें भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 शामिल हैं। यह आपराधिक संहिताएं नहीं है, बल्कि न्याय और नागरिक सुरक्षा की संहिताएं हैं। अब हम किसी को भी अपराधी कहने से पूर्व, उन्हें कटघरे में खड़ा करने लायक साक्ष्य एकत्र करेंगे। यह व्यवस्था की गई है कि 07 वर्ष से ऊपर के किसी भी आपराधिक मामले में फॉरेंसिक साक्ष्य आवश्यक हो। इसके लिए इस प्रकार के संस्थान तथा हाई क्लास लैबोरेट्रीज का होना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 के पूर्व उत्तर प्रदेश के नौजवान तथा नागरिकों के सामने पहचान का संकट था। प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त थी। जब उन्हें देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य में सरकार के संचालन का दायित्व मिला, तो उनके सामने उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त, गुंडा मुक्त और माफिया मुक्त बनाने की चुनौती थी। उत्तर प्रदेश दुनिया का सबसे बड़ा सिविल पुलिस बल है। उस समय प्रदेश पुलिस में आधे से अधिक पद खाली थे। हमें पुलिस भर्ती प्रक्रिया को भी पारदर्शी तरीके से संपन्न करना था।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब सरकार ने कार्य प्रारम्भ किये, तो ‘जहां चाह वहां राह’ के अनुरूप स्वयं ही रास्ते बनते गए। हमने 01 लाख 54 हजार से अधिक पुलिस कार्मिकों की भर्ती पारदर्शी तरीके से संपन्न की। हाल ही में 60,200 पुलिस कर्मियों की नई भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न हुई है। इसके परिणाम घोषित हो चुके हैं। प्रदेश में रूल आफ लॉ का माहौल बनाने के लिए हमने अनेक कार्य किए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में मात्र चार स्थानों पर फॉरेंसिक लैब थी। आज प्रदेश में सभी जोन स्तर पर एक अच्छी लैब बनकर तैयार हो चुकी है। हम इसे सभी 18 रेंज में ले जा रहे हैं। पहले केवल गौतमबुद्धनगर तथा लखनऊ में ही साइबर थाने थे। हमने पहले चरण में 18 रेंज तथा इसके बाद सभी 75 जनपदों में साइबर थानों की स्थापना की कार्यवाही की है। प्रदेश के सभी 1,775 थानों में एक-एक साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिस जमीन पर उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान की स्थापना की गई है, इस 120 एकड़ भूमि पर एक भूमाफिया ने कब्जा कर लिया था। भू-माफिया से कब्जा मुक्त कराते हुए, इस जमीन पर फॉरेंसिक विश्वविद्यालय के निर्माण का निर्णय लिया गया। भारत सरकार ने यह तय किया था कि फॉरेंसिक के क्षेत्र में देश में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय होगा, और अन्य सभी संस्थान उससे सम्बद्ध होंगे। प्रदेश सरकार ने भी इसी के अनुरूप अपनी व्यवस्था बनाई। यहां पर भूमि की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है, जिससे भविष्य में यदि इसे विश्वविद्यालय बनाना हो, तो यह कार्य आसानी से हो सके।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि हम समय से आगे नहीं चलेंगे तो पीछे छूट जाएंगे। विकास की दौड़ में हमारे लिए कोई स्थान नहीं होगा। हमें आज की दुनिया को समझना होगा और उसके अनुरूप चलना होगा। हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से कभी पीछे नहीं हट सकते। जब तकनीक के साथ समाज आगे बढ़ता है, तो उसकी प्रगति होती है। इससे जीवन में नए-नए रोजगार सृजित होने की संभावनाएं आगे बढ़ती हैं तथा जीवन को आसान बनाने में भी मदद मिलती है। तकनीक से दूर भागने की नहीं, अपितु इसे अपनाने की आवश्यकता है। इसके सुरक्षात्मक और नैतिक पक्षों का ध्यान रखना भी आवश्यक है, जिससे कोई इसका दुरुपयोग ना कर पाए।

अगर हम सकारात्मक सोच के साथ तकनीक को नहीं अपनाएंगे, तो नकारात्मक लोग इस पर हावी हो जाएंगे। जब एक व्यक्ति न्याय से वंचित रह जाता है, तो पूरी मानवता न्याय से वंचित रह जाती है। जब एक अपराधी छूटता है, तो वह कानून और रूल ऑफ लॉ को चुनौती देता है। वह संविधान के उन सभी स्तंभों को भी चुनौती देता है जिन पर हमारा लोकतांत्रिक ढांचा खड़ा है और जिसने हमें अपने देश के बारे में कुछ करने की ताकत दी है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लोक कल्याण तथा एक सामान्य नागरिक और अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को न्याय प्रदान करने की दृष्टि से तकनीक का उपयोग आवश्यक है। उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट की स्थापना इसी दिशा में एक प्रयास है। यह संस्थान केवल डिप्लोमा या डिग्री प्रदान करने तक ही सीमित ना रहे। हमें जागरूकता के एक विराट कार्यक्रम का हिस्सा बनना होगा। साइबर सिक्योरिटी, साइबर फ्रॉड या डिजिटल अरेस्ट को रोकने के लिए हमारे स्तर पर भी कार्यवाही होनी चाहिए।

आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चैट जी0पी0टी0, इंटरनेट ऑफ थिंग्स का जमाना है। इसने हमारा जीवन आसान किया है। हम तकनीक से भागें नहीं, बल्कि इसे लोक कल्याण और राष्ट्र की प्रगति का माध्यम बनाएं। हमें तकनीक की और उसकी सुरक्षा के निहितार्थो की जानकारी होना आवश्यक है। जब हम तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त कर स्वयं को मजबूती प्रदान करेंगे, तो साइबर फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करके अनावश्यक रूप से एक निर्दोष व्यक्ति को सजा होने तथा दोषी व्यक्ति के दोष मुक्त हो जाने की घटनाओं पर रोक लगा पाएंगे।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की मंशा है कि हर पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिले और हर दोषी व्यक्ति कानून के कटघरे में खड़ा हो। इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में हम बढ़ सकते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान इस दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा। यह उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत की दृष्टि से एक सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में आगे बढ़ेगा। आज आपको स्वयं का ऑडिटोरियम प्राप्त हुआ है। आपके पास आगे बढ़ने के अनेक अवसर है। देश में साइबर सिक्योरिटी तथा फॉरेंसिक साइंसेज से जुड़े जितने भी संस्थान और हाई क्लास लैबोरेट्रीज हैं, उनके सामने आपको उत्कृष्टता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना है। आप यह लक्ष्य अवश्य प्राप्त करेंगे।

कॉन्फ्रेंस को मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री प्रशान्त कुमार तथा उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक डॉ0 जी0के0 गोस्वामी ने भी सम्बोधित किया।

इस अवसर पर विधायक श्री राजेश्वर सिंह, संस्थान के पदाधिकारीगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

source: http://up.gov.in

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