CM Yogi ने डिजिटल माध्यम से 69,195 विद्यार्थियों के खाते में 586 लाख रु0 छात्रवृत्ति की धनराशि हस्तान्तरित की

CM Yogi ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में प्रदेश के समस्त संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का शुभारम्भ किया

उत्तर प्रदेश के CM Yogi ने कहा है कि यह समय भारतीय संस्कृति, सभ्यता तथा सनातन धर्म का है। संस्कृत को भारतीय संस्कृति का वाहक बनाने के लिए तैयार करना होगा। संस्कृत का संरक्षण करना शासन का दायित्व होना चाहिये। प्रदेश सरकार इस दायित्व का सतत् निर्वहन कर रही है। संस्कृत भाषा तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए गुरुकुल परम्परा हमारी वास्तविक ताकत है। इस परम्परा के कारण ही विपरीत परिस्थितियों में अनेक झंझावातों का मुकाबला करते हुए हमारी सनातन संस्कृति सुरक्षित है तथा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में दुनिया का मार्गदर्शन कर रही है। प्रदेश भर में युद्ध स्तर पर इस प्रकार के विद्यालय खोले जाने चाहिए जो गुरुकुल की परम्परा को पुनर्जीवित कर सकें।

मुख्यमंत्री जी आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में प्रदेश के समस्त संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने डिजिटल माध्यम से 69,195 विद्यार्थियों के खाते में 586 लाख रुपये छात्रवृत्ति की धनराशि हस्तान्तरित की। उन्होंने 12 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की धनराशि के प्रतीकात्मक चेक प्रदान किए।

मुख्यमंत्री जी ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 बिहारी लाल शर्मा को विश्वविद्यालय में समारोह के आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह समारोह संस्कृत तथा भारतीय संस्कृति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जब यहां पर सामूहिकता की भावना के साथ वैदिक मंगलाचरण आदि कार्यक्रम सम्पन्न हो रहे थे, तो भारतीय सनातन धर्म की ऊर्जा के आध्यात्मिक स्वर गुंजायमान हो रहे थे। संस्कृत को समझने के लिए इन स्वरों को अंतःकरण में समाहित करना पड़ता है। श्रद्धाभाव के साथ इन स्वरों के साथ तारतम्य बनाते हुए संस्कृत की ऊर्जा तथा महत्ता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस ऊर्जा से सम्पूर्ण प्रदेश को ओतप्रोत करने, युवाओं को इससे युक्त करने तथा प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी को इससे आप्लावित करने के लिए दीपावली पर्व से ठीक पूर्व देश के सबसे प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय में इस समारोह का आयोजन किया गया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले गरीब तथा वंचित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने का अभिनन्दनीय प्रयास तो किया गया, लेकिन संस्कृत शिक्षा से जुड़े विद्यार्थियों को उपेक्षित रखा गया। अभी तक संस्कृत के केवल 300 बच्चों के लिए ही स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी। इसमें आय सीमा की बाध्यता भी सम्मिलित कर दी गई थी। इस छात्रवृत्ति के विषय में विद्यार्थियों में जानकारी का अभाव था। प्रदेश सरकार ने संस्कृत के साथ जुड़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी के लिए इस स्कॉलरशिप की व्यवस्था की है। आज इस व्यवस्था का शुभारंभ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से किया जा रहा है। कल तक 69,195 विद्यार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंच जाएगी। जिन बच्चों का किसी बैंक में खाता नहीं है, वह भी अपना खाता तत्काल खुलवायें

प्रदेश सरकार के माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा विभाग इस सम्बन्ध में प्रत्येक विद्यार्थी का खाता खुलवाना सुनिश्चित करें। उनके खाते में वर्ष में दो बार स्कॉलरशिप भेजी जानी चाहिए ताकि उन्हें इस कार्य के लिए कहीं और न भटकना पड़े।  प्रदेश में प्रथमा से लेकर आचार्य तक के सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति उपलब्ध कराने तथा इसके सम्बन्ध में आवेदन कराने के लिए संस्कृत शिक्षा से जुड़े प्रत्येक संस्थान को प्रयास करना पड़ेगा। अभी तक प्रथमा के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं मिलती थी। प्रदेश सरकार द्वारा इन विद्यार्थियों को भी स्कॉलरशिप प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री जी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में डबल इंजन सरकार द्वारा संस्कृत के सम्बन्ध में आपके योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है। संस्कृत के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए आप सभी के स्तर पर प्रयास किया गया है। आज की इस चकाचौंध से भरी दुनिया में हर व्यक्ति भौतिकता के पीछे भाग रहा है। ऐसे वातावरण में भी प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख बच्चे संस्कृत के प्रति अपना जीवन समर्पित करते हुए भारतीय संस्कृति के लिए अपना योगदान कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृत केवल देववाणी तथा इहलोक व परलोक में संवाद का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह भौतिक जगत की अनेक समस्याओं का वैज्ञानिक पद्धति से समाधान का माध्यम भी बने, इस सम्बन्ध में विशिष्ट शोध कार्य को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत की प्राचीन संस्कृति पर विशिष्ट शोध को आगे बढ़ाने के लिए ही प्रदेश सरकार ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान का एक केंद्र बनाया है। इसे स्वयं को संस्कृत के शोध का केंद्र बनाना पड़ेगा। संस्कृत में अच्छा शोध कार्य करने तथा थीसिस लिखने वाले शोधकर्ताओं के लिए प्रदेश सरकार स्कॉलरशिप की घोषणा करने जा रही है। जिससे वह अपनी वृत्ति की चिंता किए बिना शोध कार्य कर सकें तथा भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को दुनिया के सामने रख सकें। यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों विश्वविद्यालय में संरक्षित पांडुलिपियों का अवलोकन किया। यहां लगभग 75 हजार से अधिक प्राचीन पांडुलिपियां संरक्षित हैं। यहां अलग-अलग विषयों पर विशिष्ट शोधकार्य किए गए हैं। इसके सम्बन्ध में हमें और भी अच्छे ढंग से कार्यों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति के संरक्षण का दायित्व संस्कृत और इसके प्रति अनुराग रखने वाले व्यक्ति ही उठा सकते हैं। इस कार्य में प्रदेश सरकार भरपूर सहयोग प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति से विश्वविद्यालय की पूरी कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने को कहा है। हमें विश्वविद्यालय के पुरातन गौरव को पुनर्स्थापित करना है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुनिया का वह प्रत्येक व्यक्ति जो मानवता तथा सर्वांगीण विकास का पक्षधर है वह संस्कृत का भी हिमायती है। कम्प्यूटर विज्ञान तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकें भी इस बात को स्वीकार करती हैं कि संस्कृत सर्वाधिक सहज व सरल वैज्ञानिक भाषा बन सकती है। इसके लिए आप सभी को स्वयं को तैयार करना होगा। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विरासत को विकास के साथ जोड़ने के लिए देश में किए गए अभिनव प्रयासों का केंद्र बिन्दु हमारी अध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी बननी चाहिए। इस कार्यक्रम को हमें मजबूती के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

जब सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रथमा, पूर्व मध्यमा तथा उत्तर मध्यमा की मान्यता प्रदान की जाती थी, तब नेपाल तथा देश की अलग-अलग जगहों के विद्यार्थी काशी तथा गोरखपुर में अध्ययन करने आते थे। वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद बनी। परिषद को मान्यता नहीं प्राप्त हुई लेकिन विद्यार्थियों का प्रवेश होता रहा। परिषद को मान्यता दिलाने का प्रयास कभी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने विद्यार्थियों की संस्कृत के प्रति उदासीनता के बारे में पता किया तो ज्ञात हुआ कि मान्यता न होने के कारण विद्यार्थी यहां आने से कतराते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा परिषद को मान्यता प्रदान कराई गई। अब यहां छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय को पहले से मान्यता प्राप्त थी, यह देश का सबसे प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय अपनी गौरवशाली परम्परा के साथ आगे बढ़ा है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार व्यवस्था करने जा रही है कि संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बन्धित उन्हीं संस्थानों को सहायता दी जाएगी, जो विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क छात्रावास तथा खान-पान की व्यवस्था करेंगे। किसी व्यक्ति, आश्रम या न्यास द्वारा निःशुल्क छात्रावास तथा खान-पान की व्यवस्था के साथ विद्यालय प्रस्तुत करने पर प्रदेश सरकार ऐसे विद्यालयों को अनुदान प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें संस्कृत की मान्यता तथा अच्छे आचार्यों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्रता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने विभाग से कहा है कि जिन संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की पूरी भर्ती नहीं हो पाई है, वहां तत्काल भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अच्छे तथा योग्य आचार्यों की नियुक्ति की जाए। जब तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाती है तब तक मानदेय देकर अच्छे व अनुभवी शिक्षकों की तैनाती की जानी चाहिए। यदि नियुक्ति में इनको वेटेज दिया जाएगा तो वह शिक्षण के कार्य को अच्छे ढंग से आगे बढ़ाएंगे।

मुख्यमंत्री जी ने महर्षि अरविंद का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें बचपन में ही अध्ययन के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया था। भारत आकर जब उन्होंने भारत के बारे में जानकारी ली तथा यहां के मूल तत्वों को जाना तो ब्रिटिश सरकार की गुलामी करने से इनकार कर दिया। इसके पश्चात वह भारत के क्रांतिकारी अभियान में सम्मिलित हुए। उन्होंने पांडिचेरी में आश्रम बनाकर भारत की आध्यात्मिक परम्परा को आगे बढ़ाया।

एक बार जब महर्षि अरविंद से पूछा गया कि भारत के पास सबसे बड़ा खजाना कौन सा है, तो उन्होंने जवाब दिया कि संस्कृत भाषा तथा उसका साहित्य हमारा सबसे बड़ा खजाना है। यह एक शानदार विरासत है। जब तक यह लोगों के जीवन को प्रभावित करती रहेगी, तब तक भारत की मूल प्रतिभा बनी रहेगी। महर्षि अरविंद ने संस्कृत के विषय में इस प्रकार के उदात्त विचारों को हम सभी के सामने प्रस्तुत किया। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पहले ही कह दिया था कि जिस तिथि को उनका जन्मदिन होता है, आगामी समय में उसी तिथि पर देश को आजादी मिलेगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिस देश की विरासत जितनी प्राचीन होती है, वहां उतने ही अधिक पर्व और त्योहार होते हैं। देश में धनतेरस से लेकर छठ पर्व तक अनेक समारोहों का आयोजन किया जाएगा। सर्वत्र खुशी तथा उल्लास का वातावरण होगा। यह खुशी हम सभी में दिखनी चाहिए।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने मुख्यमंत्री जी का स्वागत करते हुए कहा कि दुनिया की सांस्कृतिक एवं शिक्षा की राजधानी काशी में 235 वर्ष प्राचीन सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय देव भाषा संस्कृत का संरक्षण एवं संवर्धन कर रहा है। संस्कृत भाषा हमारीसंस्कृति को जीवन्त बनाने में अपना योगदान दे रही है। मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में हमारी संस्कृति निरन्तर बलवती हो रही है। भारत संस्कृति तथा आध्यात्मिक चेतना की धरा है। मुख्यमंत्री जी का ध्यान लगातार इस दिशा में रहता है। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 बिहारी लाल शर्मा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा की 17 संस्कृत विश्वविद्यालयों में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय सबसे प्राचीन है। मुख्यमंत्री जी ने अपने सुशासन के माध्यम से देश के हृदयस्थल उत्तर प्रदेश को एक नयी दिशा प्रदान की है। इसके पूर्व, उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 बिहारी लाल शर्मा तथा श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो0 नागेन्द्र पाण्डेय ने मुख्यमंत्री जी का स्वागत किया।

इस अवसर पर स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जायसवाल, आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्राचार्यगण, विद्यार्थी तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री जी ने श्री काशी विश्वनाथ एवं श्री कालभैरव मन्दिर में दर्शन-पूजन किया तथा बाबतपुर मार्ग पर काजीसराय के पास स्थापित हनुमान जी की विशाल प्रतिमा का अनावरण कर पूजा-अर्चना की।

source: http://up.gov.in

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