DTC दुर्लभ लापरवाही..। DMRC से सीखना चाहिए, रूट पर जाने से पहले नहीं होता ब्रीदिंग टेस्ट

DTC दुर्लभ लापरवाही..। DMRC से सीखना चाहिए, रूट पर जाने से पहले नहीं होता ब्रीदिंग टेस्ट

दिल्ली में दिवाली की रात हुए DTC बस हादसे के बाद से लोगों की सुरक्षा पर संदेह है। दरअसल, चाणक्यपुरी इलाके में हुए इस दुर्घटना में चालक को शराब पीने की पुष्टि हुई है। इससे मेट्रो की तरह डीटीसी बसों के ड्राइवरों को भी ब्रीदिंग टेस्ट की आवश्यकता हो गई है।

DTC ड्राइवर की सांस लेने की जांच नई दिल्ली: दिवाली की रात, डीटीसी बस चालक ने शराब पीकर बस को चाणक्यपुरी क्षेत्र में फुटपाथ पर चढ़ा दिया और एक खंभे में टक्कर मार दी। क्योंकि बस में बहुत कम सवारियां थीं, इसलिए कोई घायल नहीं हुआ। जांच में ड्रंकन ड्राइविंग की पुष्टि हुई, इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। पिछले हफ्ते बाराखंभा रोड पर टॉलस्टॉय रोड की रेडलाइट के पास एक इलेक्ट्रिक बस ड्राइवर ने दूसरी इलेक्ट्रिक बस को पीछे से टक्कर मार दी। दोनों बसों की धीमी गति से किसी को चोट नहीं लगी, लेकिन बसों को नुकसान हुआ।

DTC दुर्लभ लापरवाही..। DMRC से सीखना चाहिए, रूट पर जाने से पहले नहीं होता ब्रीदिंग टेस्ट
DTC दुर्लभ लापरवाही..। DMRC से सीखना चाहिए, रूट पर जाने से पहले नहीं होता ब्रीदिंग टेस्ट

DTC कर्मचारियों की एक यूनियन ने बस ड्राइवर पर शराब पीने का आरोप लगाया जब घटना का वीडियो सामने आया। लेकिन मामला पुलिस के पास नहीं पहुंचा और वहीं रफा-दफा हो गया। कुछ समय पहले रोहिणी क्षेत्र में भी एक बस चालक की तबीयत अचानक खराब हो गई और उसने कई कारों में टक्कर मार दी। इन घटनाओं ने ड्राइवरों की सेहत, मेडिकल फिटनेस और यात्रियों की सेफ्टी पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। डीटीसी प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट है, खासकर शराब पीकर बस चलाने की घटनाओं से।

DTC दुर्लभ लापरवाही..। DMRC से सीखना चाहिए, रूट पर जाने से पहले नहीं होता ब्रीदिंग टेस्ट
DTC दुर्लभ लापरवाही..। DMRC से सीखना चाहिए, रूट पर जाने से पहले नहीं होता ब्रीदिंग टेस्ट

रोहिणी बस को कैसे नियंत्रित किया गया? सीसीटीवी फुटेज ने ड्राइवर को किस समय देखा?

ब्रीदिंग टेस्ट के लिए कोई प्रणाली नहीं है

DTC प्रशासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बस लेकर रूट पर जाने से पहले ड्राइवरों का ब्रीदिंग टेस्ट डिपो में नहीं होता है। ड्यूटी चार्ट पूर्वनिर्धारित है। ड्राइवर डिपो में आता है, हाजिरी लगाता है और बस को सीधे रूट पर ले जाता है। न तो उसकी तबीयत की जांच की जाती है और न ही उसने कोई नशा किया है। ड्राइवरों का सरप्राइज ब्रीदिंग टेस्ट भी रूट पर चलने के दौरान नहीं किया जाता है। ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं, जिनमें बस चालक नशे में होते हैं। यह यात्रियों की सुरक्षा को बड़ा खतरा बनाता है।

 

अब अधिकांश ड्राइवर डीटीसी और क्लस्टर स्कीम में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहे हैं, इसलिए डीएमआरसी से सीखना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, डिपो में हेल्थ चेकअप कैंप और कॉन्ट्रैक्ट रिन्युअल के दौरान मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट लिया जाता है, लेकिन ड्राइवर को सुबह या दोपहर में बस चलाने के लिए फिट होने की जांच करने का कोई तंत्र नहीं है। DMRC, इसके विपरीत, हर ट्रेन ऑपरेटर को ड्यूटी पर भेजने से पहले ब्रीदिंग टेस्ट करता है। इसके लिए मेट्रो डिपोज ने एसओपी बनाया है और सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं।

 

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