DU News: भाजपा नेता बिधूड़ी ने आतिशी पर हमला करते हुए कहा, “नया कॉलेज खोला नहीं, दिल्ली के CM पुरानों को बर्बाद कर रहे हैं।”

Delhi University (DU)

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने डीयू के बारह कॉलेजों को लेकर दिए गए बयान पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की है। उनका आरोप था कि दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार केवल 12 वर्तमान कॉलेजों का वित्तीय प्रबंधन कर सकती है, जो 20 नए खोलने का वादा करते हैं। जबकि सरकार कहती है कि दिल्ली में धन की कोई कमी नहीं है, इन बारह कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को अभी तक समय पर वेतन नहीं मिला है, और कॉलेज की सभी गतिविधियां भी खराब हो गई हैं। अब इन कॉलेजों को डीयू से अलग करने का प्रयास किया जा रहा है।

कॉलेजों में पड़े वेतन लाले

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के बारह नए कॉलेजों को 1993 में दिल्ली के मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने खोलने का निर्णय लिया था, जैसा कि बीजेपी विधायक और वरिष्ठ नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा। कांग्रेस शासित केंद्र सरकार ने इन कॉलेजों को धन देने से इनकार कर दिया था, लेकिन खुराना ने साहसिक निर्णय लिया कि दिल्ली सरकार इन सभी कॉलेजों को पूरी तरह से धन देगी। तब से 2013 तक, जितनी भी सरकार आई, इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार ने ही सहायता दी। लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने तब से इन कॉलेजों को धन नहीं दिया है।

9 साल में कोई कॉलेज नहीं खुला

बीजेपी नेता बिधूड़ी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने चुनावों में वादा किया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 20 नए कॉलेज खोले जाएंगे। नौ वर्ष की केजरीवाल सरकार ने अब तक कोई नया कॉलेज नहीं खोला है। उल्टा, पुराने कॉलेजों को ध्वस्त कर दिया जा रहा है। अब शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि या तो केंद्र सरकार इन 12 कॉलेजों को अपने पास ले ले या प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय से अलग कर दे।

आप बस राजनीति करते हैं सरकार

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल सरकार सिर्फ राजनीति करती है। उच्च शिक्षा से उसका कोई संबंध नहीं है। नए कॉलेज खोलने से पहले, दिल्ली विश्वविद्यालय के बारह कॉलेजों का भविष्य खतरे में है। बीजेपी दिल्ली में हजारों विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों के कैरियर को धोखा नहीं देगी। Attishy की मांग से स्पष्ट होता है कि दिल्ली के सीएम युवाओं को शिक्षित करने में पूरी तरह असफल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा का उदाहरण देने वाले लोगों को बताएं कि क्या दिल्ली के कॉलेजों को डीयू से अलग करके इसी तरह शिक्षा में सुधार होगा?

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