Govardhan Puja 2023
आप Govardhan Puja 2023 और 2023 की तारीख और मुहूर्त जानते हैं। हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। इस उत्सव का सीधा संबंध प्रकृति और मनुष्य से है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गोवर्धन पूजा, या अन्न कूट का त्यौहार, कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, या दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत, खासकर ब्रज भूमि (मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना आदि) में इसकी महत्ता और बढ़ जाती है, जहां भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजा करने के लिए लोगों को प्रेरित किया था और देवराज इंद्र का अहंकार मिटाया था।
Govardhan Puja की तिथि और शास्त्रीय नियम कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है:
1। Govardhan Puja को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाना चाहिए, लेकिन संध्या के समय चंद्रदर्शन नहीं होना चाहिए।
2। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन शाम को सूर्यास्त के समय चंद्रदर्शन होने पर गोवर्धन पूजा पहले दिन करनी चाहिए।
3। यदि प्रतिपदा तिथि सूर्योदय के समय लगती है और चंद्र नहीं दिखाई देता, तो उसी दिन Govardhan Puja करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता, तो गोवर्धन पूजा पहले दिन मान्य होगी।
4. प्रतिपदा तिथि सूर्योदय के बाद कम से कम 9 मुहूर्त तक रहती है, तो उस दिन चंद्रदर्शन शाम को नहीं होगा, इसे स्थूल चंद्रदर्शन का अभाव माना जाएगा। यदि ऐसा होता है तो गोवर्धन पूजा उसी दिन मनानी चाहिए।
Govardhan Puja के नियम और विधि: गोवर्धन पूजा का बहुत महत्व है भारतीयों के जीवन में। इस दिन वेदों में वरुण, इंद्र, अग्नि और अन्य देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गोधन (गाय) की पूजा का खास महत्व है। यह त्यौहार मानव जाति को इस बात का संदेश देता है कि प्रकृति हमें जीवन देती है और हमें उनका सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए। गोवर्धन पूजा करके हम सभी प्राकृतिक स्रोतों का सम्मान करते हैं।
1। Govardhan Puja के दिन गोबर से बनाया गया गोवर्धन फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या शाम होती है। गोवर्धन की पूजा करते समय उसे धूप, दीप, नैवेद्य, जल और फल आदि चढ़ाना चाहिए। गाय-बैल और कृषि में काम करने वाले पशुओं को इस दिन पूजा जाता है।
2। गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए आदमी की तरह हैं। नाभि पर मिट्टी का दीपक लगाया जाता है। पूजा करते समय इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे और अन्य सामग्री डाल दी जाती है, जो फिर प्रसाद के रूप में बाँट दी जाती है।
3. पूजा के बाद गोवर्धन जी की जय बोली जाती है, सात परिक्रमाएं लगाकर। परिक्रमा करते समय हाथ में लोटे से जल गिराकर जौ बोते हैं।
4। यह दिन गोवर्धन गिरि, जो भगवान के रूप में जाते हैं, की पूजा घर में करने से धन, संतान और गौ रस की प्राप्ति होती है।
5। गोवर्धन पूजा भी भगवान विश्वकर्मा का दिन है। सभी कारखानों और उद्योगों में इस मौके पर मशीनों की पूजा की जाती है।