Lok Sabha Election 2024: Punjab Lok Sabha Election 2024 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी ने बीते दिन शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गया। अब वह शिअद के जालंधर के प्रत्याशी हैं।कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चिन्नी उनसे भिड़ेंगे। विशेष बात यह है कि चन्नी और केपी एक दूसरे की समधी हैं।
Alandhar Lok Sabha का स्थान: सोमवार का दिन कांग्रेस के लिए बहुत बुरा रहा। करीब सत्तर वर्षों तक कांग्रेस का झंडा धारण करने वाले केपी परिवार ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी (Mohinder Singh KP Join SAD) ने शिअद में शामिल होकर जालंधर से चुनाव जीता। केपी का पार्टी छोड़ना कांग्रेस और जालंधर से पार्टी के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए व्यक्तिगत नुकसान है।
चन्नी और केपी एक समधी है
केपी और चन्नी भी प्रेमी हैं। केपी की बेटी चन्नी के भतीजे से विवाह कर चुकी है। कांग्रेस को आपातकाल के बाद विभाजित किया गया था।
इंदिरा गांधी बहुत कमजोर थीं जब जालंधर लोकसभा चुनाव हुआ। इंदिरा गांधी उस समय चौधरी परिवार और फिर केपी परिवार के साथ आईं। कांग्रेस लगभग सत्तर वर्षों तक दोआबा के दलित क्षेत्र पर शासन करती रही।
भाजपा से भी मिले सुशील रिंकू।
वंचितों ने मास्टर गुरबंता सिंह की तीन पीढ़ियों और केपी की दो पीढ़ियों का नेतृत्व किया। चौधरी संतोख सिंह की पत्नी करमजीत कौर इस बार लोकसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा में चली गई हैं, जबकि मोहिंदर सिंह केपी शिअद में चले गए हैं।
वहीं, वंचितों के नेता के रूप में उभर रहे सुशील रिंकू पहले आप और फिर भाजपा में शामिल हुए।
पीपी को भी विस चुनाव में टिकट नहीं मिला
लंबे समय से प्रदेश के नेतृत्व में केपी की खींचतान थी। पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भी केपी को टिकट नहीं दिया था। यही नहीं, पार्टी ने पहले केपी को आदमपुर से टिकट देने का निर्णय लिया था, जिससे वह बदनाम हो गया था।
नामांकन के अंतिम दिन, वे केपी रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय के बाहर भी पहुंचे, लेकिन उनके पास पार्टी की टिकट नहीं थी। अंतिम समय पर बसपा कांग्रेस में शामिल हुए सुखविंदर कोटली को टिकट मिल गया। तब से ही, केपी कांग्रेस की बैठकों से गायब रहे हैं।
चौधरी के बाद केपी परिवार के कांग्रेस से नाता तोड़ने से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए दलित भूमि पर चुनौती बढ़ी है क्योंकि भाजपा के प्रत्याशी सुशील रिंकू भी कांग्रेस से भाजपा में गए हैं और केपी भी कांग्रेस से ही शिअद में गए हैं। जालंधर में सबसे अधिक ४० प्रतिशत दलित हैं।