Maa Mahamaya Temple: इस धाम की माता अपने आने का देती है संकेत, एक भोग हो जाता है मंदिर से गायब!

Maa Mahamaya Temple: नवरात्रि पर सभी जगह देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी

नवरात्रि पर सभी जगह देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी। सभी देवी देवताओं के मंदिरों की अपनी अलग-अलग मान्यता है। अब हम हरदी के Maa Mahamaya Temple की स्थापना और इसकी मान्यता के बारे में बता रहे हैं। आपको बता दें कि हरदी ग्राम छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से लगभग 10 से 16 किलोमीटर दूर है, जहां मां महामाया देवी का मंदिर है। मंदिर में मां महामाया पिंडी रूप में विराजमान हैं। मंदिर का नाम दूर-दूर तक फैला हुआ है। यहां मां नीम एक पेड़ के नीचे विराजित हैं।

हर दिन बड़ी संख्या में लोग यहां सुबह-शाम की महाआरती में भाग लेते हैं। वहीं नवरात्रि में सप्तमी की रात बहुत से लोग शेर के पंजे देखने आते हैं। मंदिर में वर्षों से यह परंपरा चलती आ रही है। भक्तों को हर साल नवरात्रि में कपाट खुलने के बाद माता के पदचिन्ह या शेर के निशान देखने को मिलते है। मंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया कि यहां विदेश में रह रहे भारतीय नागरिक हर साल चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र दोनों में दीपक जलाते हैं। यहां नवरात्र में हर बार तीन हजार से चार हजार ज्योति जलायी जाती है।

संतान देने वाली मां

पंडित शाश्वत पांडेय जी ने बताया कि यहां महामाया मां सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती है। , विशेष रूप से जो निःसंतान होती हैं, उनको संतान प्राप्ति का वर देने वाली देवी हैं। इस मंदिर का नाम दूर-दूर तक फैल गया है। यहां मां नीम एक पेड़ के नीचे विराजित हैं। हर दिन बड़ी संख्या में लोग शाम की महाआरती में भाग लेते हैं। वही नवरात्रि में सप्तमी की रात विशेष पूजा की जाती है।

मंदिर के गर्भगृह में चलनी से आटा बिखेर दिया जाता है और मां को भोग के रूप में नैवेद्य अर्पित किया जाता है, जिसमें 21 – 21 नग लौंग, इलाइची और सुपाड़ी होते हैं। यह एक थाली में रखा जाता है और मां को खिलाया जाता है। तब रात 12 बजे से 1 बजे तक मंदिर के दरवाजे सबके सामने एक घंटे के लिए बंद रहेंगे। अंदर कोई रहता नहीं है। मंदिर के सभी कैमरों पर कपड़े बांधकर अंधेरा कर दिया जाता है।

Exit mobile version