मृत्यु से पहले सुकरात ने क्या कहा, यह जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

सुकरात प्राचीन यूनान में एक महान दार्शनिक था। उन्हें देवताओं पर भरोसा नहीं करने और युवाओं को भड़काने के आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी। उनका जहर बनाया जा रहा था। सूर्योदय से पहले जहर देने का आदेश दिया गया था। दोपहर ढल चुकी थी, शाम होने वाली थी। विलंब क्यों कर रहे हो, जरा जल्दी करो, सुकरात ने कहा, जो सैनिक उनके लिए जहर तैयार कर रहा था।तुम क्या कह रहे हो? सैनिक चकित हो गया। मैं धीरे-धीरे कर रहा हूँ।सुकरात ने कहा, ‘अपने कर्तव्य का पालन करने में ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।उन्हें सुनकर वहीं बैठे कुछ अनुयायी रो पड़े।

एक व्यक्ति ने पूछा, “तुम हम लोगों के साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?” हम सबके लिए आपका जीवन बहुत महत्वपूर्ण है। अभी भी समय है। जेल के सभी पुलिसकर्मी हमारे साथ हैं। हम सब आपको यहाँ से सुरक्षित स्थान पर ले जाते हैं।पहले, सुकरात ने रोते हुए शिष्यों को झिड़का, फिर दूसरे शिष्यों से कहा, “आप लोग इस मिट्टी की देह के लिए इतने परेशान क्यों हो?” मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा। मैं इस शरीर के लिए चोरों की तरह भागकर छिपकर रहूँ? यह जीवन मुझे बहुत अच्छा लगा, लेकिन अब मैं मरने का आनंद लेना चाहता हूँ।’

सांझ ढल चुकी थी। जहर की बोतल लाई गई। जैसे लोग चाय-कॉफी पीते हैं, सुकरात ने जहर से भरा प्याला उठाया और खाली कर दिया। वह जहर पीकर लेट गए। शिष्यों ने पूछा, बहुत दर्द होगा।’शिष्यो!’ सुकरात ने मुस्कुराते हुए कहा। यह मेरे जीवन में कुछ बदलाव लाने का अवसर है। अब मैं शरीर, मन, विचार और हृदय से अलग हूँ।सुकरात ने अपने जीवन से ही नहीं, अपनी मौत से भी लोगों को अनमोल सन्देश दिया।

Exit mobile version