पलवल में डिप्थीरिया, जो एक जानलेवा बीमारी बन गया है, 2 महीने में 3 बच्चों की death

पलवल में डिप्थीरिया, जो एक जानलेवा बीमारी बन गया है, 2 महीने में 3 बच्चों की death

पलवल में डिप्थीरिया बीमारी जानलेवा बन गई है। अब तक, अक्टूबर में पलवल में डिप्थीरिया से तीन बच्चे मर गए हैं। बहुत से लोग बीमार हैं। उटावड़ में बीमारी की पुष्टि हुई है। वहीं, करीब दस गांवों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग ने सभी एएनएम (आठ टीमों सहित) को जांच की जिम्मेदारी दी है। जिला उपायुक्त नेहा सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को घर-घर जाकर बच्चों की जांच करने का आदेश दिया है। सिविल सर्जन डॉ. नरेश गर्ग ने बताया कि कॉरिनेबैक्टीरियम डिफ्थीरिया बैक्टीरिया एक संक्रामक जीवाणु रोग है।

पलवल में डिप्थीरिया, जो एक जानलेवा बीमारी बन गया है, 2 महीने में 3 बच्चों की death

गलाघोंटू बीमारी भी इसका नाम है। यह बीमारी गले, नाक, टॉन्सिल और त्वचा को प्रभावित करती है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों और 11 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर इसका प्रभाव पड़ता है। बच्चों और अस्वच्छ वातावरण पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। संक्रमण के दो से पांच दिन बाद डिप्थीरिया के लक्षण दिखाई देते हैं। बेचैनी, ठंड लगना, बुखार, खांसी और गले में सूजन होना खाना खाने और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

 

10 से अधिक बच्चे बीमार हैं

पलवल में डिप्थीरिया, जो एक जानलेवा बीमारी बन गया है, 2 महीने में 3 बच्चों की death

जिला स्वास्थ्य विभाग ने गांव उटावड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत जांच के लिए आठ टीमों को गांवों में भेजा है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि चार साल और सात साल के दो लड़के और ग्यारह साल की एक लड़की डिप्थीरिया से मर गए हैं। जिन तीन घरों में बच्चों की मौत हुई है, उनमें १० से अधिक बच्चे बीमार हैं।

पलवल में डिप्थीरिया, जो एक जानलेवा बीमारी बन गया है, 2 महीने में 3 बच्चों की death

जिला स्वास्थ्य विभाग ने डोर-टू-डोर सर्वे के लिए भी उटावड़, नांगल जाट, हथीन, पलवल और आसपास के अस्पतालों के डॉक्टरों को बुलाया है। डोर-टू-डोर सर्वे व्यापक रूप से किया जा रहा है। CEMO नरेश गर्ग ने बताया कि हथीन के अलावा भी स्लम बस्तियों की जांच की मांग की गई है। शुक्रवार को सीएमओ नरेश गर्ग ने उटावड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दौरा कर बीमारी की जांच की। उनका कहना था कि पलवल, होडल हसनपुर सहित सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि डिफ्थीरिया से पीड़ित लोगों को विशेष इलाज और नियमित जांच दी जाएं।

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