प्रिंस को बचाने वाले सुरेंद्र का साहस देखें, रैट माइनर्स ‘योद्धाओं’ ने सुरंग खोदने के लिए पैसे नहीं दिए

प्रिंस को बचाने वाले सुरेंद्र का साहस देखें, रैट माइनर्स ‘योद्धाओं’ ने सुरंग खोदने के लिए पैसे नहीं दिए

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय राज्य मंत्री वी के सिंह ने मंगलवार शाम को स्थानीय बौखनाग देवता के मंदिर में उनके प्रति आभार व्यक्त किया। प्रिंस तुरंत बाद धामी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सिलक्यारा सुरंग के मुहाने पर स्थित बाबा बौखनाग का छोटा मंदिर भव्य होगा।

हमसे पूरे देश ने बड़ी उम्मीद की: देवेन्द्र रैट माइनर

उत्तरकाशी की सिल् क् यारा सुरंग में फंसे ४१ कर्मचारियों को बचाने में होल माइनर्स का सबसे बड़ा योगदान था। रविवार को पहुंचे इन छह रैट माइनर्स ने जल्दी काम शुरू किया। उन् होंने इस काम के बदले नवयुग की कंपनी से कोई धन नहीं लिया। रैट होल माइनर देवेंद्र ने बताया कि यह हमारे जीवन में अब तक हुआ सबसे खुशहाल काम है। हम इसे पूरा करने से बहुत खुश हैं। हमने 41 कर्मचारियों तक पहुंचने के लिए सफलतापूर्वक सुरंग खोदा, तो सबने हमें खुशी से गले लगाया। हम लोगों से पूरा देश बहुत उम्मीद करता था। हमने उन्हें निराश नहीं करना चाहा।

हमने इसे धन के लिए नहीं किया।

प्रिंस को बचाने वाले सुरेंद्र का साहस देखें, रैट माइनर्स 'योद्धाओं' ने सुरंग खोदने के लिए पैसे नहीं दिए

देवेंद्र ने बताया कि निर्माण कंपनी ने उन्हें सिल्क् यारा सुरंग में होल करने के लिए बुलाया था। हमने कंपनी को इसके बदले पैसे देने से इनकार कर दिया। हमने अपने लोगों को बचाने के लिए ऐसा किया है। आपको बता दें कि इन रैट मालिकों को ट्रेंचलेस इंजिनियरिंग सर्विसेज नामक एक निजी कंपनी ने बुलाया था। ये दिल्ली सहित कई राज्यों में जल पाइपलाइन बिछाने के समय अपनी टनलिंग क्षमता दिखा चुके हैं। उन्हें उत्तरकाशी में खनन करने की प्रणाली ‘रैट होल’ माइनिंग से अलग थी।

टनलिंग में माहिर लोगों को ही इस काम के लिए बुलाया गया था। यह छह लोगों की टीम यहां पर ड्रिल मशीनों के साथ पहुंची। इन्हीं की मदद से मलबे को खुदाया गया और एक मार्ग बनाया गया।

18 नवंबर को दिल् ली के सुरेंद्र राजपूत उत् तरकाशी रेस् क् यू ऑपरेशन में सहयोग करने के लिए उत् तरकाशी पहुंचे थे। वह बचाव निकायों से लगातार मुलाकात कर अपने अनुभव की जानकारी देते रहे। प्रशासन ने कहा कि सुरेंद्र राजपूत ने अंबाला के गांव में बोरवेल में गिरे बच्चे प्रिंस को बचाया था।

उन् होंने दूसरे कुंए से 57 मीटर गहरे कुएं को जोड़ने के लिए 10 फीट लंबी सुरंग बनाई, जिससे प्रिंस को सुरक्षित निकाला गया। बाद में सुरेंद्र को बचाव एजेंसियों ने अंधेरे में रेस्क्यू ऑपरेशन में डाला।

टीम रैट माइनर्स को ट्राली बनाई

सुरेंद्र राजपूत ने दिल्ली से 17 दिन से सुरंग में फंसे कर्मचारियों को निकालने के लिए आया था। प्रिंस को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने उनका सम्मान किया। सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि उन् होंने सिल्क् यारा सुरंग में खुदाई करने वाली रैट माइनर्स टीम के लिए एक पुली ट्राली बनाई। इस पर चार बेरिंग लगाए गए थे। इस ट्राली ने सुरंग के भीतर से मलबे को पाइप से बाहर निकाला।

उन् होंने दूसरे कुंए से 57 मीटर गहरे कुएं को जोड़ने के लिए 10 फीट लंबी सुरंग बनाई, जिससे प्रिंस को सुरक्षित निकाला गया। बाद में सुरेंद्र को बचाव एजेंसियों ने अंधेरे में रेस्क्यू ऑपरेशन में डाला।

टीम रैट माइनर्स को ट्राली बनाई

सुरेंद्र राजपूत ने दिल्ली से 17 दिन से सुरंग में फंसे कर्मचारियों को निकालने के लिए आया था। प्रिंस को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने उनका सम्मान किया। सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि उन् होंने सिल्क् यारा सुरंग में खुदाई करने वाली रैट माइनर्स टीम के लिए एक पुली ट्राली बनाई। इस पर चार बेरिंग लगाए गए थे। इस ट्राली ने सुरंग के भीतर से मलबे को पाइप से बाहर निकाला।

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