मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है?
धर्मशास्त्रों में आत्मा का रहस्य बताया गया है. जो लोग धर्मशास्त्रों को पूरी तरह से सत्य मानते हैं और उनका पालन करते हैं, उन्हें आत्मा या पुनर्जन्म के शब्द पर कोई शक नहीं होता। धर्मशास्त्रों का निर्माण मानव कल्याण और मार्गदर्शन हेतु ऋषि-महर्षियों ने अपने योग आदि बल से बनाया है। मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है, आत्मा कहां जाती है, आगे की दुनिया कैसी होगी, विज्ञान इसे अभी तक एक रहस्य मानता है क्योंकि आत्मा को शरीर से वापस मिलना असंभव है, इसलिए धर्मशास्त्र ही आत्मा के बारे में सब कुछ बताता है। यह सबको पता है कि परमयोगी श्री आदिशंकराचार्य का परकाया-प्रवेश है।
शरीर मनुष्य के साथ आता है जब वह इस दुनिया में आता है, लेकिन जाते समय भी छोड़ जाता है। जन्म लेने के बाद हर जीव को अंततः अपना शरीर त्यागना ही होता है. चाहे कोई प्राणी सौ वर्ष या उससे भी अधिक जीवन जी ले, अंततः उसे अपना शरीर छोड़कर वापस परमात्मा की शरण में जाना होता है। मृत्यु के बाद अक्सर लोग सोचते हैं कि आत्मा कहाँ जाएगी और क्या करेगी। जन्म-मरण के चक्र में प्रत्येक व्यक्ति कई बार जन्म लेता है, लेकिन हममें से किसी को भी इसके बारे में कोई स्मृति नहीं है।
जन्म और मृत्यु दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। संसार के सभी ऐश्वर्य अस्थायी नहीं हैं; वे क्षणभंगुर हैं और विनाशशील हैं। जैसे एक व्यक्ति अपने पुराने कपड़े छोड़कर एक नया कपड़ा लेता है, वैसे ही जीवात्मा अपने पुराने शरीर को छोड़कर एक नया शरीर प्राप्त करता है। मृत्यु का रहस्य सिर्फ वह व्यक्ति जान सकता है जो आत्मा को समझता है। जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म जैसे नए कपड़े पहनना है। मानव आज कई तरह के भय से घिरे हुए हैं, जैसे असफलता का भय, असुरक्षा का भय, लेकिन सबसे बड़ा भय है मृत्यु का भय।
हर व्यक्ति जानता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होगी, लेकिन वह अपनी अंतिम घड़ी तक इस अनिवार्य सत्य को झुठलाता रहता है और उसे स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन, मृत्यु की एक निरंतर, धीमी प्रक्रिया है।
मृत्यु में वही क्रिया पूर्ण होती है जिसका आरंभ जन्म से हुआ है, इसलिए अक्सर कहा जाता है कि, “अंत ही प्रारम्भ है”। गीता, गुरुपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन आत्मा, जन्म और मृत्यु से संबंधित तत्वों का ज्ञान देता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्मा अमर है और मर नहीं जाती; वह सिर्फ शरीर रूपी कपड़े बदलती है।
आत्मा हमेशा अमर रहती है, सिर्फ शरीर रूपी कपड़े बदलती है। जब आत्मा शरीर छोड़ देती है, तो वह यमदूत लेने आती है, जैसा कि गरूड़ पुराण बताता है। यमदूत प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में जो भी करते हैं, उसे अपने साथ ले जाते हैं। शास्त्रों में बताए गए तथ्यों के अनुसार, अगर मरने वाला सज्जन या पुण्यात्मा है तो उसे मरने में कोई दर्द नहीं होता, लेकिन अगर वह पापी या दुराचारी है तो उसे दर्द सहना पड़ता है। धर्मशास्त्रों में आत्मा के सभी तत्व बताए गए हैं; इन्हें मानना या नहीं मानना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है।