55 International Film Festival of India: सिनेमा विदाउट बॉर्डर्स

55 International Film Festival of India (इफ्फी) गोवा के पणजी में शुरू होने जा रहा है

55 International Film Festival of India: गोवा की भूमि के जीवंत रंग, सिनेमा की चकाचौंध के साथ सहज रूप से मिश्रित होते हैं, जहां दुनिया के हर कोने से कहानीकार अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक साथ आते हैं। कुछ ही दिनों में 55वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) गोवा के पणजी में शुरू होने जा रहा है, जिससे यह नैसर्गिक तटीय इलाका एक बार फिर वैश्विक संस्कृति, प्रतिभा और सिनेमा के जीवंत उत्सव का केंद्र बन जाएगा। फिल्म प्रेमी, उद्योग जगत के अग्रज और महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माता न केवल अपनी फिल्मों का प्रदर्शन करने के लिए इफ्फी महोत्सव में आते हैं, बल्कि सांस्कृतिक सीमाओं से परे जाकर जीवन को समृद्ध बनाने वाले अनूठे अनुभव के लिए भी आते हैं, जो जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को सिनेमा की कलात्मकता की सराहना करने के लिए आमंत्रित करता है।

1952 में अपनी स्थापना के बाद से, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव दुनिया भर से कहानीयों को बताने, संस्कृति और रचनात्मकता की विविधता का उत्सव मनाने वाली फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में विकसित हुआ है। महोत्सव का 2024 का संस्करण पहुंच और समावेशन पर जोर देने के साथ उद्योग कार्यशालाओं की एक बड़ी श्रृंखला का वादा करता है। भारतीय फिल्म उद्योग अब वैश्विक स्तर पर कंटेट के निर्माण के लिए एक प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इफ्फी अब एक उत्सव से कहीं अधिक है, यह अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भारत की उभरती भूमिका का प्रदर्शन है और साथ ही सामाजिक जुड़ाव और परिवर्तन का एक साधन है जो फिल्मों की शक्ति का सम्मान है।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, फिल्म निर्माताओं को अपनी प्रतिभा दिखाने, नए दर्शकों तक पहुंचने और अनूठी कहानियां साझा करने का अवसर देता है। अपने प्रतिस्पर्धी वर्गों, नेटवर्किंग कार्यक्रमों और शैक्षिक कार्यशालाओं की बदौलत यह महोत्सव विशेष रूप से उभरते फिल्म निर्माताओं के लिए एक आवश्यक मंच बन गया है। भारत का फिल्म उद्योग पहले से ही विविध कहानियों, शैलियों और तकनीकों का एक जीवंत इकोसिस्टम है और इफ्फी महोत्सव भारतीय फिल्म निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से परिचित कराकर इसे और आगे ले जाता है।

55वें इफ्फी के मुख्य आकर्षण: फिल्मों और कार्यक्रमों की विविधतापूर्ण श्रृंखला

इस वर्ष के कार्यक्रम में, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी के लिए कुछ न कुछ हो, चुनिंदा 16 खंडों में फिल्में शामिल हैं। दिल छू लेने वाले नाटकों से लेकर गहन वृत्तचित्रों तक, सिनेमा के हर कोने का प्रतिनिधित्व दर्शाया जाएगा। इफ्फी में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर करने वाली फिल्में उत्साह को और बढ़ाती हैं, जिससे दर्शकों को अनूठी कहानियों को अनुभव करने का मौका मिलता है।

इफ्फी का अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा खंड दुनिया भर से सांस्कृतिक और कलात्मक रूप से असाधारण फिल्मों की एक विविध श्रृंखला को एकत्र करता है, जो वर्ष की सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों का प्रदर्शन करके अपनी पूर्व-प्रतिष्ठित स्थिति बनाए रखता है, जिसे फिल्म उद्योग द्वारा सम्मानित विशेषज्ञों द्वारा सावधानीपूर्वक चुना जाता है। इफ्फी का एक अन्य प्रमुख खंड भारतीय पैनोरमा, इस 55वें संस्करण के दौरान 25 फीचर फिल्में और 20 गैर-फीचर फिल्में प्रदर्शित करेगा। मुख्यधारा सिनेमा की 5 फिल्मों सहित 25 फीचर फिल्मों के पैकेज में 384 समकालीन भारतीय प्रविष्टियों का चयन किया गया है, जिसमें जूरी ने भारतीय पैनोरमा 2024 की उद्घाटन फिल्म के रूप में श्री रणदीप हुडा की स्वातंत्र्य वीर सावरकर (हिंदी में) का चयन किया है। इसके अलावा, 262 फिल्मों के स्पेक्ट्रम में से चुनी गई 20 गैर-फीचर फिल्में भारतीय पैनोरमा में प्रदर्शित की जाएंगी। गैर-फीचर श्रेणी की शुरुआत हर्ष सांगानी द्वारा निर्देशित घर जैसा कुछ (लद्दाखी) से होगी।

इफ्फी 2024 ने भारतीय सिनेमा में उभरती आवाजों को समर्पित एक नई पुरस्कार श्रेणी ‘भारतीय फीचर फिल्म के सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक की शुरुआत की है। भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाले नवोदित निर्देशकों की पांच फिल्मों को इस वर्ष के महोत्सव में सम्मानित किया जाएगा। ये फिल्में न केवल नए दृष्टिकोण प्रदर्शित करती हैं बल्कि क्षेत्रीय भारत की अनूठी कहानी को दर्शकों के बड़े वर्ग तक भी पहुंचाती हैं। चयनित फिल्मों में लक्ष्मी प्रिया देवी द्वारा निर्देशित बूंग (मणिपुरी), नवज्योत बांदीवाडेकर द्वारा निर्देशित घरत गणपति (मराठी), मनोहर के द्वारा निर्देशित मिक्का बन्नाडा हक्की (बर्ड ऑफ़ ए डिफरेंट फ़ेदर- कन्नड़), यता सत्यनारायण द्वारा निर्देशित रजाकर (साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद- तेलुगु) और रागेश नारायणन द्वारा निर्देशित थानुप (द कोल्ड- मलयालम) शामिल हैं। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इन डेब्यू फिल्मों को बढ़ावा देकर, नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देता है और राष्ट्रीय फिल्म परिदृश्य में क्षेत्रीय आवाजों के महत्व को और मजबूत करता है।

भारतीय सिनेमा की गौरवशाली विरासत का उत्सव मनाने के लिए, इफ्फी 2024 में चार महान हस्तियों अभिनेता राज कपूर, निर्देशक तपन सिन्हा, तेलुगु फिल्म आइकन अक्किनेनी नागेश्वर राव (एएनआर) और गायक मोहम्मद रफी को सेंचुरी ट्रीब्युटदिया जाएगा। इन महान हस्तियों ने फिल्म जगत में अपना अद्वितीय योगदान दिया है और सेंचुरी ट्रीब्युट में उनकी क्लासिक फिल्मों के पुनर्स्थापित संस्करण शामिल हैं। उद्घाटन समारोह के दौरान एक विशेष ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति में इन आइकनों की यात्रा पर प्रकाश डाला जाएगा, जिससे नए दर्शकों को इन लोगों के जीवन और विरासत के बारे में जानकारी मिलेगी जिन्होंने भारतीय सिनेमा को आकार देने में मदद की। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) ने इन क्लासिक्स को उनकी दृश्य गुणवत्ता में वापस लाने के लिए बहाली का काम शुरू किया है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान का स्थान : 55वें संस्करण में “फोकस देश” होगा ऑस्ट्रेलिया

“फोकस देश” इफ्फी में एक महत्वपूर्ण खंड है जो किसी चयनित देश की सर्वश्रेष्ठ समकालीन फिल्मों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समर्पित है। इफ्फी के 55वें संस्करण में ऑस्ट्रेलिया को “फोकस देश” के रूप में नामित किया गया है। इसका उद्देश्य वैश्विक फिल्म उद्योग में ऑस्ट्रेलियाई सिनेमा के योगदान का उत्सव मनाना है। इफ्फी में विभिन्न शैलियों में सात ऑस्ट्रेलियाई फिल्मों का प्रदर्शन होगा, जो समीक्षकों द्वारा प्रशंसित नाटकों से लेकर शक्तिशाली वृत्तचित्रों, दृश्यमान रोमांचक थ्रिलर और हल्की-फुल्की कॉमेडी तक विविध मिश्रण पेश करेगा। ये फिल्में ऑस्ट्रेलिया की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं, इसके स्वदेशी समुदायों और आधुनिक समाज दोनों की कहानियाँ बताती हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही ऑडियो विजुअल सह-उत्पादन संधि के समर्थक हैं और यह साझेदारी दोनों देशों के बीच गहन सिनेमाई सहयोग का समर्थन करती है।

फिल्म स्क्रीनिंग से आगे: कार्यशालाएं, मास्टरक्लासेस और इफ्फी रेड कार्पेट

स्क्रीनिंग के अलावा, इफ्फी इस कला के प्रति लोगों की सराहना को आगे बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें मास्टरक्लासेस, चर्चाएं और व्यावहारिक कार्यशालाएं शामिल हैं। बहुप्रतीक्षित इफ्फी रेड कार्पेट इवेंट फिल्म जगत की चकाचौंध और ग्लैमर की एक झलक पेश करता है, जिसमें प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और फिल्म निर्माता शामिल होते हैं। सितारे और फिल्म निर्माता अपने काम का उत्सव मनाने और कला के प्रति अपने जुनून को साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं और रेड-कार्पेट का यह इवेंट सिनेमा के जादू को जीवंत कर देता है। इफ्फी के प्रतिनिधि फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और फिल्म उद्योग के विशेषज्ञों से मिलेंगे और उनसे जुड़ेंगे। इसके अलावा, इफ्फी एक बार फिर ‘क्रिएटिव माइंड्स ऑफ़ टुमॉरो’, ‘फिल्म बाजार’ और ‘सिने मेला’ के 2024 संस्करण लेकर आ रहा है, जिससे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव उभरते कलाकारों के लिए ‘वन-स्टॉप शॉप’ बन जाएगा।

समावेशन की दिशा में एक बड़े कदम में, इफ्फी के आयोजन स्थलों को सभी के लिए सुलभता सुनिश्चित करने के लिए सुसज्जित किया गया है, जिसमें दिव्यांगजनों के लिए रैंप, रेलिंग, स्पर्श पथ, ब्रेल साइनेज, पार्किंग स्थान और अन्य सुलभ सुविधाएँ शामिल हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी सिनेमा के जादू का आनंद ले सके। यह विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि भारत सभी के लिए बाधा-मुक्त स्थान बनाने पर जोर देता है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में समान रूप से समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

इफ्फी की भावना: संक्षिप्त इतिहास

1952 में स्थापित, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) एशिया के प्रमुख फिल्म महोत्सवों में से एक है। 2004 से, गोवा इसका स्थायी स्थान रहा है, जिसे इसके खुलेपन की भावना और वैश्विक अपील के लिए चुना गया है। पिछले कुछ वर्षों में, इस महोत्सव ने इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एफआईएपीएफ) से मान्यता प्राप्त करके अपनी प्रतिष्ठा मजबूत की है, जिससे यह दुनिया में सबसे सम्मानित प्रतिस्पर्धी फिल्म महोत्सवों में से एक बन गया है। इफ्फी का आयोजन हर वर्ष सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा, गोवा सरकार के सहयोग से किया जाता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में फिल्म समारोह निदेशालय (डीएफएफ) आमतौर पर समारोह का नेतृत्व करता रहा है, लेकिन फिल्म मीडिया इकाइयों के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के साथ विलय के परिणामस्वरूप, एनएफडीसी ने समारोह के संचालन का कार्यभार संभाल लिया है। यह आयोजन एक सांस्कृतिक सेतु के रूप में काम कर रहा है, जो दुनिया भर के दर्शकों, फिल्म निर्माताओं और फिल्म निर्माताओं को जोड़ता है और विश्व स्तर पर फिल्म निर्माण की कला को बढ़ावा देता है।

सार

गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, यह महज़ फिल्मों के संग्रह से कहीं अधिक है। यह एकता, रचनात्मकता और साझा मानवीय अनुभव की भावना का प्रतीक है। अपने मूल में, इफ्फी का उद्देश्य कहानीयों को बताने की सार्वभौमिक भाषा के माध्यम से लोगों को एक साथ लाना है और एक ऐसा स्थान प्रदान करना है जहाँ विविध आवाज़ों को सुना और बताया जा सके। इस वर्ष का महोत्सव, महान हस्तियों को श्रद्धांजलि, उभरती प्रतिभाओं का उत्सव और समावेशित पर जोर देने के साथ, वैश्विक फिल्म उद्योग में इफ्फी की स्थायी विरासत का प्रमाण है।

source: http://pib.gov.in

Exit mobile version