बीजेपी 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को अपनी लगातार तीसरी जीत मान रही है, जो आम चुनाव से पहले होगा। ऐसे में वह इस अवसर को खो देना नहीं चाहती। पार्टी अगले तीन महीने तक इसी तरह पूरे देश में ऐसा माहौल बनाना चाहती है कि बीजेपी को कोई चुनौती न मिले और विपक्ष का मनोबल उठने से पहले ही दब जाए। I.N.D.I.A. गठबंधन ने उसे एक उम्मीदवार देने की कोशिश की है।
यही कारण है कि पार्टी इन सभी सीटों पर जीत के लिए 50 प्रतिशत वोटों की बाधा पार करना चाहती है, नहीं तो INDIA गठबंधन जीत हासिल कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस आम चुनाव को हल्के में नहीं लिया है और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कम से कम 50% वोट पाने का लक्ष्य दिया है। भाजपा को लगता है कि इन प्रयासों के कारण इस बार राम मंदिर से आशीर्वाद उसके लिए काम करेगा।
I.N.D.I.A गठबंधन में आजकल सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को बिहार के सीएम नीतीश कुमार से क्या मतभेद है? नीतीश कुमार को INDIA गठबंधन के संयोजक पद पर लगभग समझौता हो गया था, लेकिन ममता ने इसे रोका। वह उनके नाम को नहीं मानती थीं। नीतीश कुमार की पार्टी ने शुरू में सोचा कि कांग्रेस उनका नाम रोक रही है। लेकिन बाद में जेडीयू नेताओं को भी पता चला कि गतिरोध सिर्फ ममता की वजह से हुआ था नीतीश के पक्ष में।
TMC Chief के पास क्या समस्याएं हैं?
यहां तक कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने JDU दल को बताया कि अगर ममता मान जाएं तो नीतीश का नाम एक मिनट में घोषित किया जाएगा। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर ममता बनर्जी को उनके नाम से क्या परेशानी है। नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के बीच पहले अच्छे संबंध थे। I.N.D.I.A गठबंधन से पहले भी दोनों ने एक दूसरे के साथ कई बार काम किया है।
दोनों ने एक निजी निवेदन में भी साथ रह चुके हैं। ममता ने नीतीश के पक्ष में अचानक क्या किया? इसके पीछे एक चुनावी रणनीतिकार की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया जाता है