नवगठित ट्राई सर्विस संयुक्त प्रशिक्षण टीमों द्वारा प्रशिक्षित किया जाने वाला पहला कोर्स
तीनों सेनाओं के अधिकारियों के लिए प्रमुख रक्षा सेवा तकनीकी स्टाफ कोर्स 10 जून 2024 को मिलिट्री इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे में प्रारंभ हुआ। इस कोर्स में तीनों सेनाओं, भारतीय तटरक्षक बल और मित्र देशों के पांच अधिकारियों सहित कुल 166 अधिकारी भाग ले रहे हैं। कोर्स को भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय तटरक्षक बल और मित्र देशों के मध्य-कैरियर अधिकारियों को भविष्य के तकनीकी योद्धाओं और सैन्य नेताओं के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मिलिट्री इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईएलआईटी) के कमांडेंट, एवीएम विवेक ब्लोरिया ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान भावी सैन्य नेताओं को सेनाओं के बीच संयुक्तता और तालमेल के महत्त्व और बहु-डोमेन ऑपरेशनों में युद्ध लड़ने के लिए प्रत्येक सेवा की अद्वितीय क्षमताओं को समझने के महत्त्व को रेखांकित किया। कमांडेंट ने भविष्य के तकनीकी योद्धाओं के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों तथा भारत के सैन्य और सुरक्षा परिदृश्य को प्रभावित करने वाले भू-राजनीतिक विषयों की मजबूत समझ विकसित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि यह जागरूकता उन्हें सूचित निर्णय लेने और सेवाओं में विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के समावेशन सहित सैन्य रणनीतियों में कारगर योगदान करने के लिए सशक्त बनाएगी।
पाठ्यक्रम के दौरान अधिकारियों को विभिन्न उभरती प्रौद्योगिकियों, रक्षा रणनीतियों, लाइव और सिम्युलेटेड अभ्यासों, सेमिनारों, सहयोगी परियोजनाओं, विभिन्न अग्रिम क्षेत्रों के दौरे के साथ-साथ रक्षा अनुसंधान एवं विकास और औद्योगिक गलियारों से अवगत कराया जाएगा, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, सामरिक संचालन और सैन्य प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में उनकी जागरूकता और समझ में सुधार हो सके।
एमआईएलआईटी द्वारा संयुक्तता की दिशा में एक अग्रणी पहल में संयुक्त प्रशिक्षण के संचालन के लिए तीनों सेनाओं से लिए गए अधिकारियों से युक्त संयुक्त डिवीजनों का गठन किया गया है, जो विविध कौशल सेट और परिदृश्यों को एक साथ लाएंगे। यह नवगठित त्रि-सेवा संयुक्त प्रशिक्षण टीमों द्वारा प्रशिक्षित होने वाला पहला डीएसटीएससी होगा। इस पहल का उद्देश्य बहु-डोमेन संचालन के लिए आवश्यक निर्बाध समन्वय और एकीकरण को प्रोत्साहित करना और संयुक्त संस्कृति बनाना है।
source: https://pib.gov.in