Haryana Stubble Burning
सोमवार को 3 किसानों को नोटिस भेजा गया था कि वे पराली जलाकर 2500 रूपए का पर्यावरण क्षतिपूर्ति चार्ज देंगे। दरअसल, पराली जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। रविवार को सेटेलाइट से ऐसी ही तीन घटनाओं की जानकारी मिली। NGT (National Greening Agency) के निर्देश पर किसानों पर कार्रवाई की गई है। यह विवरण डीसी अजय कुमार ने दिया है।
Haryana Stubble Burning: उन्होंने जिले के किसानों से कहा कि वे फसल अवशेषों को न जलाएं, ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे। कृषि यंत्रों की मदद से किसान फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करके पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं। यह भी संभव है कि इन फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाना। सरकार ने जिले की सभी पंजीकृत गौशालाओं को पशु चारे के लिए किसानों के खेत से पराली लाने के लिए 15 हजार रुपए की किराया राशि दी है।
वर्तमान में जिला में 3354 कृषि यंत्र पराली प्रबंधन हेतु उपलब्ध हैं। इसके अलावा, जिला में 142 कस्टम हायरिंग सेंटर भी बनाए गए हैं, जिससे किसानों को पराली नियंत्रण के लिए कृषि यंत्र आसानी से मिल सकें। तीन प्रचार-प्रसार वाहन भी किसानों को पराली जलाने की हानि और फसल अवशेष प्रबन्धन के लाभों के बारे में जागरूक कर रहे हैं।
Haryana Stubble Burning: उपायुक्त ने डीसी को बताया कि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर श्रेणी में 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र मिलते हैं, जबकि व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है। इसके अलावा, सरकार किसानों को पराली की गांठे और पराली को मिट्टी में मिलाने के लिए प्रति एकड़ एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देती है। किसानों ने इस योजना में उत्साह दिखाया है और अब तक 10 हजार एकड़ से अधिक जमीन को पंजीकृत किया गया है।