ये आयुर्वेदिक तरीके Thyroid को नियंत्रित करने में दमदार साबित हो सकते हैं

क्या आप भी Thyroid से पीड़ित हैं? अगर हां, तो आपको नेचुरली थायरॉइड को नियंत्रित करने के कुछ उपायों के बारे में जानना चाहिए।

Thyroid: इंसानों और पशु-पक्षियों के साथ संबंधों का इतिहास हजारों साल पुराना है। कुत्ते को सबसे वफादार जानवर के रूप में हमेशा नाम दिया जाता है। हजारों साल से लोगों का सबसे अच्छा दोस्त कुत्ता है। अपेट्स को लेकर अमेरिका की लेटेस्ट स्टडी के मुताबिक डॉग्स महिलाओं को डिप्रेशन से भी आजादी दिला सकते हैं।  साइंटिस्ट्स का कहना है कि डॉग्स के साथ मजबूत संबंध महिलाओं को तनाव, चिंता और डिप्रेशन से बचाने में मदद करता है। महिलाओं को ही नहीं, किसी को भी जिंदगी के अंधेरों से बाहर निकलने के लिए एक सच्चे साथी की जरूरत होती है, चाहे वह आपका प्रेमी, दोस्त या भाई-बहन हो। क्रोनिक स्ट्रेस, जो थायरॉइड जैसे घातक रोग को जन्म दे सकता है, जो आपको हो सकता है अगर आप लगातार तनाव में रहे हैं और अपने मन को हल्का नहीं किया। दरअसल, थायरॉइड ग्लैंड में स्वेलिंग तनाव से रिलीज होने वाले कार्टिसोल हार्मोन से होती है। जब थायरॉक्सिन हार्मोन का उत्पादन कम होता है, तो लोग थायरॉइड का शिकार होते हैं।

थायरॉइड इम्बैलेंस के बाद वजन बढ़ता या गिरता है। इसके अलावा, व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं, चेहरे पर झुर्रियां आ जाती हैं और जल्दी बूढ़ा दिखने लगता है। यानी ये बीमारी आपकी सेहत को भी खराब करती है और आपकी छवि को भी खराब करती है। देश में साढ़े चार करोड़ थायरॉइड पेशेंट में से छह सौ प्रतिशत अपनी बीमारी को नहीं जानते हैं। आइए स्वामी रामदेव से थायरॉइड के लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं।

थायरॉइड के लक्षण

क्या कहता है आंकड़ा?

थायरॉइड के लिए योग

थायरॉइड में कारगर प्राणायाम

दमदार आयुर्वेदिक उपचार

थायरॉइड में परहेज

शरीर के लिए खतरा

थायरॉइड ग्लैंड्स मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करें

आज के समय में थायरॉइड बीमारी कम उम्र में ही होती है। ये बीमारी पहले 50 वर्ष की उम्र में होती थी, लेकिन आज 30 से 35 वर्ष की उम्र में भी होती है। शरीर में तापमान कम होने से स्ट्रेस बढ़ता है। कैटेकोलामाइन सर्दी से होने वाले तनाव को कम करने में मदद करता है। इससे सर्कुलेटरी और रेस्पिरेटरी सिस्टम भी प्रभावित होते हैं। कोल्ड स्ट्रेस थायरॉइड ग्लैंड को नुकसान पहुंचाता है। इससे पहले के अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों को ज्यादा ठंड लगती है यानी क्रॉनिक ठंड के कारण थायरॉइड आयोडीन की खपत बढ़ जाती है और इससे थायरॉइड हार्मोन बढ़ने लगता है। वहीं, थायरॉइड ग्लैंड के फॉलिकल्स फटने लगते हैं, जिससे थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम काम नहीं करता। जब थायरॉइड ग्लैंड क्षतिग्रस्त होने लगता है, तो शरीर के अंदरूनी भाग नियत तापमान पर नहीं रह पाएंगे क्योंकि थायरॉइड ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन ही तापमान को नियंत्रित करते हैं। इससे मौत का खतरा बढ़ जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ग्लैंड में मेटाबॉलिज्म का नियंत्रण प्रमुख है। शरीर में मेटाबॉलिज़्म एक केमिकल प्रक्रिया है। शरीर इससे ऊर्जा प्राप्त करता है। मेटाबॉलिज्म हमारे खाने से पोषक तत्वों को एनर्जी में बदलता है। मेटाबॉलिज्म शरीर में होने वाले सभी कार्यों पर निर्भर करता है, जैसे सांस लेना, खाना-पचाना, ब्लड सर्कुलेशन और टिश्यूज की मरम्मत। इसलिए मेटाबॉलिज्म को स्वास्थ्य का राजा कहा जाता है।

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महिलाओं में ज्यादा खतरा

महिलाओं में थायरॉइड होने की संभावना पुरुषों से दस गुना अधिक होती है। इसका रिस्क बढ़ता है, खासकर बढ़ती उम्र में और प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज के ठीक बाद। इसके केस पिछले कुछ समय में पुरुषों में भी बढ़ रहे हैं। महिलाओं को थायरॉइड का खतरा अधिक होता है, लेकिन लगभग 60% महिलाओं को इसके लक्षणों का पता नहीं है। इस गलती के कारण ये बीमारी गंभीर बन जाती है। देश में 10 में से एक वयस्क हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित हैं, जिसमें महिलाएं पुरुषों से तीन गुना अधिक हैं। 3 मधुमेह रोगी में से एक थायरॉइड है। थायरॉइड से पीड़ित एक तिहाई लोगों को पता नहीं है। 44 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को पहले तीन महीनों में हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है।

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