Kaal Sarp Dosh: ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है, यह दोनों रहस्यात्मक ग्रह हैं, यह अचानक लाभ अचानक हानि के सूचक हैं, कुंडली में इनकी खराब स्थिति बहुत सारी परेशानियों को उत्पन्न करती है। राहू का अधिदेवता काल है तथा केतु का अधिदेवता सर्प है, इसी कारण राहू को सर्प का मुख माना गया है तो वहीं केतू को पुँछ माना जाता है इन दो ग्रहों के कारण कालसर्प योग बनता है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली के सभी ग्रह आ जाए तो कालसर्प दोष बनता है।
आपकी कुंडली में कालसर्प योग है इस बात का पता कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर चलता है, इस योग के प्रभाव के कारण जातक का जीवन सांप-सीडी के खेल की तरह चलता रहता है, कभी तो यह जीवन में बहुत अच्छी तरक्की करते हैं, लेकिन कभी-कभी अपने ही गलत निर्णयों से अपना सब कुछ बर्बाद कर लेते हैं, और फिर से वहीँ पहुँच जाते हैं, जहाँ से वे चले थे, यही प्रक्रिया जीवन में चलती रहती है। यह दुर्योग जातक को आर्थिक और शारीरिक रूप से कष्ट देने वाला होता है।
कालसर्प दोष के लक्षण और प्रभाव-
कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपने अच्छे किए गए कार्यों का यश नहीं मिल पाता, अकारण कलंकित होना पड़ता है। जीवन तनावपूर्ण और संघर्षमय रहता है, कार्यों में बाधाएं आती हैं, विवाह होने में परेशानी आती है, और यदि विवाह हो जाए तो विवाह के पश्चात संतानोत्पत्ति में विलम्ब की स्थिति देखने को मिलती हैै। इस दोष से पीड़ित लोगों को मेहनत का पूर्ण फल नहीं मिल पाता, इसके अतिरिक्त शिक्षा में बाधा, वैवाहिक जीवन में कलह, मानसिक अशांति, असाध्य रोगों की उत्पत्ति, प्रगति में रुकावट, और व्यवसाय में बार-बार हानि होती है, तथा ऐसा व्यक्ति अपनों से ठगा जाता है।
कुंडली के जिस भाव में कालसर्प दोष बनता है, उस भाव से सम्बंधित बाधाएं और कष्ट अधिक होते हैं। प्राचीन ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन आधुनिक ज्योतिष में इसे पर्याप्त स्थान दिया गया है, लेकिन विद्वानों की राय भी इस बारे में एक जैसी नहीं है। मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने पर कालसर्प दोष का प्रभाव अधिक प्रबल माना जाता है।
कुंडली में इस कालसर्प दोष का कुप्रभाव अधिक तब देखने को मिलता है, जब राहु व केतु की महादशा, अंतर्दशा चल रही हो, अक्सर इनकी दशा में बुरे सपने दिखाई देते हैं सपनों में उसे सांप दिखाई देते हैं। इसके अलावा वह अधिकतर सपने में किसी ना किसी की मृत्यु को भी देखते हैं। यह भी होता है कि तमाम मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती। कई बार तो यूं लगता है कि सफल होने वाले हैं, तभी आखिरी समय पर व्यक्ति को विफलता का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा विरोधियों की संख्या में भी इजाफा होता रहता है। इस तरह की स्थिति आपके जीवन में बनती रहती है तो संभव है कि आप कालसर्प दोष से पीड़ित होंगे। कालसर्प योग के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए पूजा-पाठ, मंत्र और जप आदि कार्यों के अलावा कई ज्योतिषीय उपाय भी प्रचलन में हैं।
कालसर्प दोष से बचने के विशेष उपाय-
इस दोष से बचने के लिए कालसर्प यंत्र को मंदिर के पूजा स्थान में स्थापित करें, और शिव के पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय: का जाप करें, इस यंत्र को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को स्थापित करके प्रतिदिन इसके आगे घी या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। सोमवार को शिव मंदिर में चांदी के नाग नागिन के जोड़े की पूजा करें, पितरों का स्मरण करें तथा श्रद्धापूर्वक बहते पानी में नाग नागिन के जोड़े का विसर्जन करें।