MCD Budget: कांग्रेस ने कहा- घाटे की भरपाई के लिए टैक्स बढ़ोतरी का विरोध करेंगे, नाजिया दानिश ने कहा कि ‘दिल्ली वालों पर बढ़ेगा बोझ.’

MCD Budget

MCD Budget: दिल्ली कांग्रेस ने तय समय पर दिल्ली नगर निगम का बजट नहीं पेश करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। दिल्ली कांग्रेस ने इसे आपकी सरकार की बदइंतजामी बताया है। एमसीडी में कांग्रेस दल की नेता नाजिया दानिश ने कहा कि बजट को लेकर चर्चा हो रही है, जिसमें वर्ष 2022–2023 के लिए 15,523 करोड़ रुपये की आय और 16,023 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित था। इससे लगभग 500 करोड़ रुपये का घाटे का बजट पेश होगा। आप घाटे को पाटने के लिए सरकार की नगर निगम संपत्ति कर को बढ़ाना चाहते हैं।

नाजिया दानिश ने कहा कि कांग्रेस टोल टैक्स से आय बढ़ाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। दिल्लीवासी इससे प्रभावित होंगे। उनका कहना था कि दिल्ली नगर निगम ने विकास कार्यों को एक साल पूरा होने के बावजूद बीजेपी और आम आदमी पार्टी की सत्ता की लालसा के कारण ठप रखा है। नगर निगम पार्षद अपने क्षेत्र में लोगों का विकास नहीं कर सकते हैं।

सीधे सदन में पेश होगा एमसीडी का बज

MCD Budget: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के वाईस चेयरमैन अनुज आत्रेय ने कहा कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने स्थायी समिति नहीं बनाने के कारण इतिहास में पहली बार सीधे निगम सदन में बजट पेश करने का फैसला किया गया है। निगम की सबसे महत्वपूर्ण कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, इसलिए बजट स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका। स्थायी समिति को नियमानुसार यह बजट प्रस्तुत किया जाता है। स्थायी समिति को वार्ड समितियों, तदर्थ और विशेष समितियों से बजट दिया जाता था, लेकिन दिल्ली की जनता को खेद है कि स्थायी समिति सहित नगर निगम में इन समितियों का गठन ही नहीं हुआ है।

मेयर और निगमायुक्त के बीच तालमेल का अभाव

जितेंद्र कोचर, दिल्ली नगर निगम के पूर्व नेता, ने कहा कि अंतिम समय बजट पेश नहीं कर पाना निगम में कमी का संकेत है। कांग्रेस पार्टी ने निगम ने बजट नहीं पेश किया और पार्षदों को बजट की कॉपी तक नहीं दी। दिल्ली नगर निगम का निर्धारित बजट पहली बार निर्धारित समय पर नहीं पेश हुआ और पोस्टपोन कर दिया गया। जबकि बजट को निगम की आम बैठक में पेश करना 3 से 4 दिन पहले निर्धारित किया गया था। महापौर ने बजट को अचानक पोस्टपोन करने का आदेश दिया। निगम पार्षदों को इसकी जानकारी नहीं दी गई। जितेंद्र कोचर ने हैरान करते हुए कहा कि महापौर को बजट प्रस्तुत करने से दो घंटे पहले अचानक याद आया कि जनता की राय भी लेनी चाहिए। जबकि निगम आयुक्त ने बजट को तैयार कर आज प्रस्तुत करने की योजना बनाई थी। निगम आयुक्त और महापौर के बीच स्पष्ट रूप से कोई समझौता नहीं है।

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