Pariksha Pe Charcha 2024: कैसे परीक्षा का दबाव झेलें? प्रधानमंत्री मोदी का गुरुमंत्र जानें
1. परीक्षा का दबाव कैसे झेलें? प्रधानमंत्री मोदी का गुरुमंत्र जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्यार्थियों से पूछा कि परीक्षा और सिलेबस के दबाव को कैसे हैंडल करें। जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। हमें दबाव से बाहर निकलना चाहिए। किसी भी बात पर परिवार में चर्चा करनी चाहिए।’
2. दूसरों से प्रेरणा नहीं लीजिए:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूछा, “आपके दोस्त से आपको किस चीज की स्पर्धा है?” मान लीजिए कि एक पेपर सौ नंबर का है। अगर आपका दोस्त ९० अंक ले आया तो क्या आपके पास १० अंक बचे? आपके पास भी सौ नंबर हैं। आपको उससे मुकाबला नहीं करना चाहिए। आपको खुद से मुकाबला करना होगा..। उससे घृणा करने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में, वह आपको प्रेरित कर सकता है। यही मानसिकता रहेगी तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त नहीं बनाएंगे।
3। शिक्षकों को बच्चों का तनाव कम करने के लिए क्या करना चाहिए?
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षकों को सुझाव देते हुए कहा कि बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच हमेशा सकारात्मक संबंध होने चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ काम करना नहीं है, बल्कि जीवन को सुधारना और परिवर्तन लाना है। परीक्षा के दबाव को शिक्षक, विद्यार्थी और पूरा परिवार मिलकर सामना करना चाहिए। जीवन में चुनौती और कठिनाई न हो तो प्रेरणाहीन और अनजान हो जाएगा। इसलिए अभ्यास होना चाहिए, लेकिन हेल्दी होना चाहिए।
4. पढ़ने के साथ-साथ लिखने की अभ्यास करें
प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों को सुझाव देते हुए कहा कि आजकल लिखना कम हो गया है। आईपैड और अन्य उपकरणों पर हम अधिक समय बिताते हैं। लेकिन उतनी ही अच्छी तैयारी और कॉन्फीडेंस होगा जितना लिखेंगे। यही कारण है कि हर दिन आप पढ़ते हैं, उसका कम से कम आधा भाग नोट्स बनाने में खर्च करें। इससे आपको परीक्षा में कितनी देर में क्या आंसर लिखना है पता चलेगा। तैरना सीखने पर आपको पानी में उतरने का डर नहीं होगा, ठीक वैसे ही लिखने की प्रैक्टिस करने पर आपको समय का प्रबंधन करना आ जाएगा, और इसका स्पष्ट असर आपके परीक्षा परिणामों पर होगा।
5 “अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद आवश्यक है।”
एक विद्यार्थी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि खेल और व्यायाम पढ़ाई के साथ-साथ कितना महत्वपूर्ण हैं। जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे शरीर को भी चार्ज करना चाहिए, जैसे मोबाइल को चार्ज करना चाहिए। स्वास्थ्यपूर्ण रहना सबसे महत्वपूर्ण है। परीक्षा में बैठने की क्षमता नहीं होगी अगर हम स्वस्थ नहीं रहेंगे। कभी-कभी सूरज की रोशनी में बैठिए। परीक्षा से पहले अच्छी नींद लेना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए मुझे सोना चाहिए जब भी माँ कहती है। रील्स पर समय बिगाड़ने से कम नींद आती है।
कैसे माता-पिता को विश्वास दिलाएं कि हम मेहनत कर रहे हैं? देखें प्रधानमंत्री ने क्या उत्तर दिया।
एक छात्रा ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि हम अपने माता-पिता से कैसे यकीन दिलाएं कि हम मेहनत कर रहे हैं? प्रधानमंत्री मोदी ने इसके जवाब में कहा कि पारिवारिक वातावरण में माता-पिता भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। कहीं न कहीं हमें अपने व्यवहार को समझने की जरूरत है।
हम विद्यार्थी हैं, इसलिए हमें विचार करना चाहिए कि क्या हम अपनी बातों का वास्तव में पालन करते हैं या नहीं। माता-पिता को फोन करने से भी भरोसा कम हो जाएगा। ऐसे ही बच्चों पर मां-बाप का भरोसा होना चाहिए। यदि आपके बच्चों के नंबर नहीं आए हैं, तो ऐसी चीजें, जैसे पढ़ना या दोस्तों के साथ समय बिताना, बच्चों और उनके माता-पिता के बीच दूरी बढ़ाती हैं।
PM के रूप में आप दबाव कैसे सहते हैं? मोदी का जवाब पढ़ें।
चेन्नई के एक विद्यार्थी ने पीएम मोदी से पूछा कि वह प्रधानमंत्री के रूप में भारी दबाव कैसे सहन करते हैं? जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने हंसते हुए विद्यार्थी से पूछा कि क्या वे भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं? PM ने कहा कि मैं सिर्फ चुनौतियों को चुनौतियां देता हूँ। किसी भी परिस्थिति में, मैं 140 करोड़ देशवासियों के साथ हूँ। मैं अपनी शक्ति को देश की क्षमता को बढ़ाने में लगा रहा हूँ। मैं इसके लिए देश की शक्ति और क्षमता पर भरोसा करता हूँ। मैं नहीं जानता कि मैं ये सब कर सकूँगा। जिन लोगों के लिए मैं काम कर रहा हूँ, उनमें मेरा बहुत भरोसा है। मैं अपनी गलती को सबक मानकर निराश नहीं होता। कोराना में, मैंने हर दिन देशवासियों से बात की, उन्हें उत्साहित किया, जिससे उनकी क्षमता बढ़ी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं होता, तो निर्णय लेने में कोई दुविधा नहीं होती। मेरी सबसे बड़ी शक्ति इसमें है। मुझे आपकी या देश की परवाह नहीं है, मैं जो कुछ करूँगा उसकी परवाह नहीं है।’