षटतिला द्वादशी: षटतिला एकादशी ही नहीं, द्वादशी भी है खास, जानें द्वादशी के दिन क्या करने से मिलता है पुण्य 

षटतिला द्वादशी: 26 जनवरी को तिल द्वादशी है, इस दिन, तिल का सेवन, दान देने की परंपरा है। पुराणों में द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है।

षटतिला द्वादशी: नारद पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार माघ की द्वादशी तिथि पर तिल दान करना भी महत्वपूर्ण है। तिल द्वादशी व्रत षटतिला एकादशी के अगले दिन किया जाता है। सूर्योदय से पहले स्नान किया जाता है। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो घर पर गंगाजल को पानी में मिलाकर नहा सकते हैं। तिल के जल से भगवान को अभिषेक करने के बाद, अन्य पूजन सामग्री के साथ तिल भी चढ़ाया जाता है।

पूजा पूरी होने पर सिर्फ तिल का नैवेद्य लगाया जाता है और उसका प्रसाद लिया जाता है। ज्योतिषीय ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु बारहवीं तिथि, यानी द्वादशी के स्वामी हैं। इस दिन रविवार है। सूर्य रविवार के देवता है। जो भगवान सूर्य और विष्णु से संबंधित हैं। इसलिए इस दिन किए गए व्रत और स्नान-दान कई गुना अधिक पुण्यदायी होंगे। डॉक्टर अनीष व्यास, पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर, जोधपुर के निदेशक, बताते हैं कि इस दिन का धार्मिक महत्व क्या है:

तिल दान से अश्वमेध यज्ञ का फल

द्वादशी तिथि पर सुबह उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए। फिर तिल का उबटन लगाएं। इसके बाद गंगाजल के साथ तिल को पानी में मिलाकर नहाना चाहिए। तिल से हवन करें। फिर भगवान को तिल का नैवेद्य देकर तिल को प्रसाद में देना चाहिए। इस दिन अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने से अधिक पुण्य मिलता है।

तिल का नैवेद्य भगवान विष्णु को अर्पित करें

द्वादशी तिथि पर सुबह सूर्योदय से पहले तिल के पानी से नहाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा से पहले व्रत रखने और दान देने का निश्चय करें। फिर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से भगवान को अभिषेक करें। फिर फूल और तुलसी पत्र चढ़ाएं। पूजा पूरी होने पर तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लें और बाँट दें। इस तरह की पूजा कई गुना पुण्य देती है और अनजाने पाप दूर करती है।

तिल दान करने के फायदे

तिल द्वादशी पर तिल दान करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। तिल दान करने से दुःख, दर्द, दुर्भाग्य और कष्ट दूर होते हैं। तिल द्वादशी के दिन तिलयुक्त पानी से स्नान करें। इससे व्यक्ति के सभी पाप मिट जाएंगे। करियर को नया आयाम देने के लिए तिल द्वादशी को स्नान करके तिलांजलि दें। धार्मिक मान्यता है कि पितृ खुश रहने से कोई व्यक्ति जीवन में सब कुछ पा सकता है। ज्योतिषियों का कहना है कि पितृ को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों पर तिल तर्पण करना चाहिए। तिल द्वादशी को भी तिल दान करें।

तिल द्वादशी का महत्व

तिल द्वादशी व्रत करने से सब सुख मिलता है। ये व्रत कलियुग के सभी पापों को दूर करता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ करने से अश्वमेध यज्ञ करने के समान लाभ मिलता है।

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