Surya Grahan 2025: सूर्यग्रहण कब होगा, कहां दिखेगा, सूतक काल समय सब जानें

Surya Grahan 2025: मार्च में सूर्य ग्रहण लगेगा, साल का पहला सूर्य ग्रहण कहां दिखाई देगा और भारत में इसका सूतक काल लगेगा या नहीं, यह सब जानें।

Surya Grahan 2025: वैज्ञानिक, ज्योतिषीय और धार्मिक कारणों से सूर्य ग्रहण हमेशा चर्चा में रहा है। सूर्य ग्रहण भी मार्च में ही होगा, चंद्र ग्रहण के बाद। सूर्य ग्रहण के दिन कोई शुभ कार्य, पूजा आदि नहीं किया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज की किरणें दूषित हो जाती हैं, जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है, इसलिए आम लोगों के अलावा गर्भवतियों को भी ग्रहण काल में विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण कब होगा, सूतक काल कब शुरू होगा और भारत में ये ग्रहण दिखाई देगा या नहीं, इन सभी प्रश्नों का उत्तर यहाँ मिलेगा।

2025 में सूर्यग्रहण कब लगेगा?

29 मार्च 2025 को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या को पहला सूर्य ग्रहण होगा। यह आंशिक सूर्यग्रहण दोपहर 14:21 बजे से शाम 06:14 बजे तक चलेगा। इस दिन पांच ग्रहों (गुरु, बुध, शुक्र, चंद्रमा और केतु) का एक साथ प्रभाव होता है, इसलिए इस ग्रहण का राशियों पर बहुत गहरा प्रभाव हो सकता है।

सूतक काल लगेगा या नहीं?

29 मार्च को भारत में सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा, हालांकि ज्योतिषियों ने सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल की गणना की है। यही कारण है कि इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

सूतक काल और ग्रहण में शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस समय खाना बनाना भी अच्छा नहीं माना जाता। यहां तक कि सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।

कहाँ-कहां सूर्यग्रहण दिखेगा?

यह क्षेत्रों में शामिल है: बारबाडोस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, उत्तरी ब्राज़ील, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, कनाडा का पूर्वी हिस्सा, लिथुआनिया, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र, आदि में देखा जा सकेगा.

सूर्य ग्रहण क्यों लगता है ?

सूर्य और चंद्रमा दोनों पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं। यही कारण है कि तीनों कभी-कभी एक दूसरे के सीध में आते हैं। यही कारण है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण होता हैं।

सूर्यग्रहण तब होता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चांद आता है। उस समय सूर्य से आने वाली रोशनी चांद के बीच में आ  जाने की वजह से धरती तक नहीं पहुंच पाती है और चांद की छाया पृथ्वी पर पड़ती है।

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