Uttarakhand UCC: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया उत्तराखंड नागरिक संहिता 2024 विधेयक सदन में पारित हुआ। मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि यह कानून लागू होने पर सभी कुरीतियां दूर होंगी और महिलाओं को सशक्त बनाया जाएगा। क्योंकि यह एक अस्वीकार्य मुद्दा था, सभी ने इसका समर्थन किया। बिल पहले राज्यपाल को भेजा जाएगा। राष्ट्रपति इसके बाद इसे ले जाएगा। फिर हम इसे राज्य में लागू करेंगे।
Uttarakhand UCC: देवभूमि को गर्व से उठाने वाला कदम: भट्ट
भाजपा ने विधानसभा से यूसीसी की अनुमति को हर देवभूमिवासी का गर्व बढ़ाने वाला बताया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड ने कानून व्यवस्था के मामले में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। जैसे एक घर में दो कानून नहीं हो सकते, उसी तरह एक देश में दो कानून सही नहीं हो सकते। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद राज्य में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे सहित सभी धर्मों के लिए समान कानून होगा।
जो संविधान निर्माताओं और वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने वाला है। उनका दावा था कि एक समुदाय के तुष्टिकरण के कारण इसका विरोध करने वाले लोगों का पुराना वरिष्ठ नेता समर्थन करता है। 90 के दशक तक, दोनों कम्युनिस्ट पार्टियां यूसीसी के पक्ष में थीं: पंडित नेहरू, सरदार पटेल, भीम राव अंबेडकर और दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा। लेकिन आज देश में इस ऐतिहासिक कोशिश का विरोध हो रहा है क्योंकि तुष्टिकरण की नीति लागू है। उनका उत्तर था कि गोवा को यूसीसी का पहला राज्य बताने वालों ने कहा कि यह 1961 में पुर्तगाल से आजाद हुआ था, जहां पहले से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू था।
यह कानून भी गोवा को भारत में शामिल करने की एक शर्त थी, जिसे 1962 में सेक्शन 5 (1) के तहत मंजूर किया गया था। किंतु आजाद भारत में किसी सरकार ने यूसीसी को लागू करने वाला पहला राज्य उत्तराखंड है। उनका अनुमान था कि शीघ्र ही पूरे देश को एक समान कानून व्यवस्था मिल जाएगी।